भारत के इतिहास की यह पहली स्वीकारोक्ति है जिसमें मोदी सरकार ने लिखित रूप से माना है कि मुसलमानों को नौकरी नहीं दो. आरटीआई से प्राप्त इस सूचना से खलबली मचना स्वाभाविक है.
मिली गजट नामक पत्रिका को आरटीआई यानी सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत लिखित रूप से यह जानकारी प्राप्त हुई है. जिसमें कहा गया है कि मोदी सरकार की यह पलिसी है कि आयुष मंत्रालय में एक भी मुस्लिम को नौकरी न दी जाये. सबका साथ सबका विकास के नारे से बनी सरकार की इस सच्चाई से देश के पंथनिरपेक्षता और समाजवाद, समानता की धज्जी उड़ गयी है.
मिलीज गजट ने आयुष मंत्रालय से सवाल किया था कि वह बताये कि वह बताये कि विश्व योगा दिवस 2015 के दौरान योगा शिक्षक के पद पर कितने मुसलमानों ने आवेदन किया.
इस पर जो जवाब मंत्रालय ने दिया वह चौंकाने वाला है. मंत्रालय ने लिखित रूप से स्वीकार किया कि इस पद के लिए 3841 मुसलमानों ने आवेदन किया. इसके अतिरिक्त अल्पकालीन पद के लिए 711 मुसलमानों ने आवेदन किया. लेकिन इनमें से एक मुस्लिम का भी चयन नहीं किया गया