राजस्थान में चुनावी सर्वे से हताश भाजपा ने एक बड़ा जोखिम उठाया है. उसने मुस्लिम बहुल टोंक विधानसभा में पहले से घोषित प्रत्याशी अजित मेहता को बदल कर मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारने का ऐलान कर दिया है.
टोंक से कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को मैदान में उतारा है. पायलट राजस्थान सियासत के सबसे कद्दावर नेताओं की सूची में जगह बना चुके हैं. और वह कांग्रेस के मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदारों में से एक हैं.
राजस्थान में मुसलमानों की संख्या लगभग दस प्रतिशत है. मुसलमानों की संख्या और विधानसभा में सीटों की संख्या के लिहाज से देखें तो राजस्थान में कम से कम 18 मुस्लिम विधायक होने चाहिए लेकिन 2013 में मात्र 2 मुस्लिम विधायक हैं.
ऐसे में भाजपा ने कांग्रेस के कद्दावर नेता सचिन पायलट को चुनौती देने के लायक अजित मेहता को नहीं समझा, जो मौजूदा विधायक हैं. उनकी जगह पर उसने युनूस खान को मैदान में उतारा है. भाजपा का युनूस खान को मैदान में उतारने का एक मात्र मकसद यह है कि वह सचिन पायलट को किसी भी तरह जीतने नहीं देना चाहती और इसके लिए उसने मुस्लिम मतदाताओं का वोट लेने का सपना पाल रही है.
बीजेपी ने सोमवार को जारी प्रत्याशियों की अपनी अंतिम सूची में युनुस खान का नाम टोंक विधानसभा सीट के लिए शामिल किया है. जानकारों का कहना है कि टोंक से युनुस खान को उतारने के पीछे एक वजह यह भी है कि यह क्षेत्र मुस्लिम बहुल है.
युनुस खान अभी डीडवाना से विधायक हैं. बीजेपी ने अपनी पांचवीं सूची में टोंक से अजित सिंह मेहता व खेरवाड़ा से शंकर लाल खराड़ी का नाम वापस लिया है. मेहता की जगह युनुस खान तथा शंकरलाल की जगह नानाला आहरी को प्रत्याशी बनाया है.
राज्य की 200 विधानसभा सीटों के लिए 7 दिसंबर को मतदान होगा.