अखबारों के पेज-3 और टीवी स्क्रीन पर बने रहने का चस्का आखिरकार पटना के सिटी एसपी शिवदीप लांडे को कघरे में ला ही दिया है. जोनल आईजी की रिपोर्ट में इसे गंभीरता से लिया गया है.
पिछले दिनों शिवदीप लांडे को टीवी पर, एक सबइंस्पेक्टर का गिरेबान पकड़ते दुनिया ने देखा था.
हिंदुस्तान अखबार के अनुसार पटना के जोनल आईजी की रिपोर्ट में शिवदीप लांडे की इस कार्रवाई पर गम्भीर सवाल खड़ा किया गया है. जोनल आईजी ने सिटी एसपी की इस कार्रवाई को कानून के अलावा मानवाधिकार का उल्लंघन बताया है.
हमने दी थी सलाह– पेज-3 की चमक से बचिए लांडे साहब
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले शिवदीप लांडे ने यूपी के एक सबइंस्पेक्टर सर्वचंद को पटना के एक चौराहे में पकड़ा. इसके लिए पहले से उन्होंने कुछ टीवी चैनल के रिपोर्टरों को सूचित किया ताकि उस दृश्य का लाइव कवरेज हो सके. सर्वचंद पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने रिश्वत ली. हालांकि रिश्वत लेने की बात साबित नहीं हुई. लेकिन टीवी पर ऐसे दिखाया गया जैसे सर्वचंद ने रिश्वत ली है. एक पुलिस अफसर को वर्दी में घसीटना, उन्हें जबरन हिरासत में लेकर गाड़ी में ठूसना और इन सारे दृश्यों को कैमरे में कैद करवाने का मकसद सिर्फ यह रहा कि उससे शिवदीप लांडे अपने इमेज को पब्लिक में चमका सकें. जोनल आईजी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सिटी एसपी ने ये सारी कार्रवाई खुद को महिमामंडित करने के लिए की.
पाठकों को याद होगा कि नौकरशाही डॉट इन ने पेज-3 की चमक से बचने की सलाह पहले दी थी. नौकरशाही डॉट इन ने यह सवाल उठाया था कि आखिर शिवदीप लांडे कोई भी अभियान चलाते हैं तो उसकी शूटिंग कैसे हो जाती है.
इसी तरह पटना में सिटी एसपी के रूप में जब वह दूसरी बार ज्वाइन किया तो उसके कुछ ही दिनों के अंदर सड़क पर क्रिमनल्स को दौड़ा कर पकड़ने की शूटिंग हुई. प्रशासनिक अनुभव रखने वाले पुलिस अफसर बताते हैं कि पुलिस अपने अभियान को गुप्त रखती है तो ही सफल होता है, लेकिन लांडे और पत्रकारों की टाइमिंग इतनी पक्की कैसे होती है कि दोनों किसी अभियान में एक ही संग पहुंच जाते हैं. हमने यही सवाल उठाया था कि कहीं ये सब मीडिया में चमकते रहने का चस्का तो नहीं है.
लेकिन अब जोनल आईजी की रिपोर्ट ने यह साबित कर दिया है कि शिवदीप लांडे मीडिया में चमकते रहने के शौकीन हैं. अब इस रिपोर्ट के बाद लांडे न सिर्फ कटघरे में आ गये हैं बल्कि इसका उन्हें खामयाजा भी भुगतना पड़ सकता है.
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