विधान सभा चुनाव को लेकर आचार संहिता 15 अगस्त के बाद कभी भी लागू हो सकती है। आचार संहिता लागू होने के बाद पदस्थापन और स्थानांतरण रोक लगा दी जाती है। इस दौरान किसी भी प्रकार के स्थानांतरण से पहले चुनाव आयोग अनुमति लेनी पड़ती है। फिलहाल कोई रोक नहीं है।
वीरेंद्र यादव
थोक भाव में आइएएस और आइपीएस अधिकारियों के स्थानांतरण के बाद राज्य का प्रशासनिक ढांचा पूरी तरह बदल गया है। जिलों की कमान बदल गयी तो विभागों का संगठन भी नये आकार में सामने आया। लेकिन इसका लाभ नीतीश सरकार को समर्थन दे रहे कांग्रेस या राजद को नहीं मिल सका। सीएमओ से प्राप्त जानकारी के अनुसार, नीतीश कुमार स्थानांतरण के पहले एक-दो बार लालू यादव से चर्चा की थी। लेकिन स्थानांतरण को अंतिम रूप देने से पहले लालू यादव से कोई परामर्श नहीं किया गया। स्थानांतरण और पदस्थापन में बड़ी भूमिका मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह और ‘ट्रांसफर-पोस्टिंग विभाग’ (सामान्य प्रशासन और गृह विभाग) के प्रधान सचिव अमीर सुबहानी की रही।
लालू को गच्चा
लालू यादव के विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, राजद प्रमुख की इच्छा थी कि स्थानांतरण के पहले उनकी भी लिस्ट पर अंतिम सहमति ली जाए। वे भी अपनी अंगुलियों पर अधिकारियों के नाम गिन रहे थे। लेकिन उनकी गिनती पूरी होने के पहले ही नीतीश कुमार ने लिस्ट जारी कर दी। अब उनके सामने कोई विकल्प नहीं बचा था। लालू यादव की मजबूरी है कि चुनाव के ऐन पहले अपनी नाराजगी भी नहीं जता सकते हैं। सत्ता में साझीदार होने का असली दर्द अब लालू यादव को महसूस हो रहा है। उन्हें अब लग रहा है कि आम भी हाथ से गया और गुठली लूट गयी।