मोदीजी हम आपकी चुप्पी पर शर्मिंदा हैं. वैसे हमें आपस बहुत उम्मीद नहीं लेकिन एक पीएम के नाते आपका फर्ज था कि दादरी में अखलाक को ईंट से कुचल कर मार दिये जाने पर आप , बतौर पीएम अफसोस तो जता सकते थे.
इर्शादुल हक, सम्पादक नौकरशाही डॉट इन
शर्मिंदा हम इसलिए भी हैं कि आप आशा भोसले के बेटे की मौत पर दुखी हैं, जैसा कि ट्विट कर आपने कहा, लेकिन दादरी के पचास वर्षीय अखलाक को पीट कर और ईंट से कुचल कर मार दिये जाने पर आप खामोश हैं. वह भी तब जब अखलाक की हत्या इसलिए हुई कि लोगों ने यह झूठ फैलाया कि उनके घर में बीफ था, जबकि उनके घर में बकरे का गोश्त था.
शर्मिंदा हम इसलिए भी हैं कि आपके जिम्मेदार मंत्री महेश शर्मा ने इसे हादसा बताया जबकि यह तो सुनियोजित साजिश थी. क्या आपके मंत्री महेश शर्मा को यह खबर नहीं मिली कि पहले मंदिर से ऐलान किया गया कि अखलाक के घर में गोमांस है. लोग जमा हुए और घसीट कर भीड़ ने ईंट-पत्थरों से मार डाला.
मोदी जी आप इस देश के प्रधानमंत्री हैं और आप इस नारे के साथ पीएम बने कि आपने सबका साथ, सबका विकास का नारा दिया.
खतरे में है देश
आज यह देश बड़े खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है. जहां सहिष्णुता खत्म होती जा रही है. संघ और उसकी आनुसंगिक संगठन अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत का जहर घोल रहे हैं. मीडिया का बड़ा वर्ग इस जहर को मसाले लगा कर देश का माहौल जहरीला बना रहा है. हिंदुओं और मुसलमानों के बीच की खाई कभी, घर वापसी, कभी लव जिहाद और कभी दंगा भड़का कर बढ़ाई जा रही है.
जब से आप पीएम बने हैं तब से इन घृणित कुकर्मों के खिलाफ एक लफ्ज नहीं कहते. वहीं दूसरी तरफ आपके मंत्री, नेता और कार्यकर्ता नफरत के इस जहर में और विष डाल रहे हैं.
मोदी जी इस देश में कानून का राज खत्म होता जा रहा है.अल्पसंख्यकों में असुरक्षा और खौफ चरम पर है. सुशासन का नारा सिर्फ नारा रह जाये तो इंसाफ की उम्मीदें भी खत्म हो जाती हैं. जब इंसाफ नहीं बचता तो शांति की उम्मीद बेमानी हो जाती है. और जहां अशांति हो, हिंसा हो, शोषण हो वहां शोषण के खिलाफ प्रतिहिंसा की संभावना भी बढ़ जाती है. समाज में अशांति से न सिर्फ समाज बल्कि देश की एकता और अखंडता खतरे में पड़ जाती है.
जब देश में कुछ लोग कानून अपने हाथ में लेने लगें, और इसके पीछे धार्मिकता एक बड़ा कारक बन जाये तो तो देश की विविधता में एकता की उम्मीद धुमिल पड़ने लगती है. माना कि कानून व्यवस्था राज्य सरकारों का मामला है पर ऐसे संगीन मामलों पर आप की चुप्पी किसी न किसी रूप में धर्मांधों को शह देती है, खास कर तब जब आप चुप हों और आपके कैबिनेट के मंत्री इसे हादसा बता कर आग में और घी डाल दें.
ऐसे संवेदनशील मामलों में शांति की अपील भाईचारे की प्रेरणा के लिए दो शब्द आप तो कह ही सकते हैं, लेकिन नहीं, आपने अपनी चुप्पी से फिर एक बड़ा संदेश दिया है. लोग इसे समझ रहे हैं.
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