बिहार में विकसित हुए नये राजनीतिक निजाम में सबसे बड़ा प्रशासनिक बदलाव डीजीपी अभ्यानंद का हटाया जाना है. आखिर अभ्यानंद एक झटके में क्यों हटा दिये गये? आइए जानते हैं इस विश्लेषण में.
नीतीश सरकार के चहेते रहे अभयानंद को आखिर डीजीपी की कुर्सी क्यों गंवानी पड़ी? यह सवाल डीजीपी के पद से उनकी विदाई के बाद से ही तैर रहा है। पुलिस महकमे में, राजनीतिक हलको में और आम आदमी के बीच भी। हर कोई इस रहस्य को जानना चाहता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक ही झटके में अभयानंद का पत्ता साफ हो गया?
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इसे लेकर कई तरह की चर्चाएं और कहानियां सामने आ रही हैं। कहा जा रहा है कि अभयानंद को डीजीपी की कुर्सी दो अधिकारियों की खातिर गंवानी पड़ी। एक चर्चा यह भी है कि बिहार में जो बदला राजनीतिक घटनाक्रम है वह भी अभयानंद की विदाई का बड़ा कारण बना। शायद वे इस माहौल को सूट नहीं कर रहे थे। बदले माहौल में पूरे महकमे को बदलने की तैयारी चल रही थी और यहीं से बदलाव की पृष्ठभूमि तैयार होने लगी थी। 20 जून को जिन आईपीएस अधिकारियों के तबादले की लिस्ट तैयार की गई थी, उसमें ऐसे नाम भी थे जिनपर अभयानंद झुकने को तैयार नहीं थे।
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विश्वस्त सूत्रों के अनुसार उस प्रारंभिक लिस्ट के हिसाब से एडीजी (मुख्यालय) रविंद्र कुमार और आईजी प्रोविजन विनय कुमार को भी उनके पद से हटाने की तैयारी थी, लेकिन अभयानंद इसपर सहमत नहीं थे। कहा जा रहा है कि एडीजी (मुख्यालय) के पद के लिए गुप्तेश्वर पांडेय का नाम चल रहा था। चर्चा तो यह भी है कि अभयानंद ने यहां तक कह दिया था कि उनके डीजीपी रहते रविंद्र कुमार और विनय कुमार नहीं हटेंगे। हालांकि, जिन 51 आईपीएस अधिकारियों के तबादले की लिस्ट जारी हुई, उनमें न तो रविंद्र कुमार का नाम शामिल किया गया और न ही विनय कुमार को आईजी प्रोविजन के पद से हटाया गया।
सूत्रों के अनुसार पहली बार ऐसा हुआ था कि अभयानंद की सहमति के बिना अचानक उन्हें अधिकारियों के तबादले की लंबी-चौड़ी लिस्ट पकड़ाई गई। इससे भी वे खिन्न थे। वजह साफ थी कि इसके पहले आईपीएस अधिकारियों के तबादले में उनकी सहमति ली जाती रही थी। लेकिन, इस बार उन्हें सिर्फ लिस्ट ओके करने को कहा गया था, जिसपर वे झुकने को तैयार नहीं थे। इसे लेकर भी तरह-तरह की बातें हैं।
सूत्रों के अनुसार अभयानंद की विदाई की पटकथा लिखे जाने में तबादले पर टकराव वाले इस पृष्ठभूमि को भी बड़ा कारण माना जा रहा है। हालांकि, इससे इतर राजनीतिक कारण भी बताए जा रहे हैं। बीते लोकसभा चुनाव में अभयानंद के ‘परफार्मेंस’ से भी कुछ नेता नाराज चल रहे थे। उनकी अपेक्षा थी कि अपने कद का फायदा उठाकर एक खास जाति का वोट वे उन्हें दिलवा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि, तबादले के पीछे इस कारण को भी आधार बताए जाने में कितना दम है यह कहना कठिन है।
अदर्स वॉयस कॉलम के तहत हम अन्य मीडिया की खबरें छापते हैं. यह विश्लेषण हमने दैनिक भास्कर से साभार छापा है
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