मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को पद से हटाये जाने की अटकलों के बीच सत्तारूढ़ जदयू में घमासान छिड़ गया है और अब कुछ मंत्री भी उनके र्समथन में आगे आकर इसे पार्टी के लिए आत्मघाती कदम बता रहे हैं। जदयू में दो धड़ा साफ बटा नजर आ रहा है । एक धड़ा श्री मांझी के साथ खड़ा है तो दूसरा उन्हें बदलने की मांग कर रहा है । श्री मांझी के हाल के कुछ विवादित बयानों को आधार बनाकर दूसरा धड़ा मुख्यमंत्री को बदलकर नीतीश कुमार को फिर से राज्य की जिम्मेवारी संभालने पर जोर दे रहा है । ऐसे लोगों में संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री श्याम रजक और जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी प्रमुख हैं। हालांकि इतना तय है कि सीएम मांझी को अभी कोई खतरा नहीं है और चुनाव तक सीएम बने रहेंगे।
दूसरी ओर श्री मांझी को हटाये जाने के विरोध में खड़े राज्य के कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार इतने परिपक्व और अनुभवी है कि उन्हें नहीं लगता है कि वह ‘राजनीतिक आत्महत्या’ जैसा कोई कदम उठायेंगे। उन्होंने कहा कि श्री मांझी को श्री कुमार ने ही मुख्यमंत्री बनाया था और उन्हें चार माह के बाद ही वह बदल दें ऐसा नहीं लगता है। शिक्षा मंत्री वृशिण पटेल भी श्री मांझी के समर्थन में आगे आये है। उन्होंने कहा कि मांझी मंत्रिमंडल के सदस्य है और उन्हें अभी तक कोई ऐसी जानकारी नहीं है कि श्री मांझी को बदला जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी समझ में श्री मांझी का अभी कोई विकल्प भी नहीं है इसलिए उन्हें बदला नहीं जा सकता है। परिवहन मंत्री रमई राम ने कहा कि वह भी इसके पक्षधर हैं कि बिहार का अगला मुख्यमंत्री कोई दलित ही हो।
उधर जदयू के बागी विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू और रविन्द्र राय ने नीतीश कुमार को चुनौती देते हुए कहा कि यदि उनमें हिम्मत है तो वह श्री मांझी को मुख्यमंत्री के पद से हटाकर देंखे। उन्होंने दावा किया कि पार्टी के अधिकांश विधायक श्री मांझी के साथ हैं और वे किसी भी कीमत पर श्री मांझी को पद से हटने नहीं देंगे। इस बीच राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि कार्यक्रम, नीति और सिद्धांत के आधार पर विलय होगा। इसलिए इसके लिए सभी संबंधित दलों को अधिवेशन बुलाकर इसके लिए प्रस्ताव लाना होगा।