राजगीर में शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक रहा. अतिक्रमण के विरुद्ध आम लोगों ने पूरे शहर को बंद रखा. इस दौरान सारा दिन सड़कों पर वीरानी रही और दुकानें व दीगर कारोबार बंद रहे.
बिहारशरीफ संवाददाता संजय कुमार की रिपोर्ट
इन्हीं सब मुद्दों को लेकर शुक्रवार को राजगीर बाजार की सभी दुकानें स्फुर्त बंद रही। इसे ऐतिहासिक बंद माना जा रहा है । राजगीर के मलमास मेला सैरात भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर आहुत इस बंद में सभी प्रकार के दुकानदारों का संपूर्ण सहयोग रहा।
यहां तक कि फुटपाथ दुकानदारों ने भी अपनी दुकानें बंद रखी। इसके अलावे राजगीर के छोटे- बड़े सभी प्रकार के व्यवसायी अपनी दुकान को स्वयं बंद रखें। यह सैरात भूमि आध्यात्म और संस्कृति का प्रतीक है । इसी जमीन पर हर तीन साल पर राजगीर में मलमास मेला का आयोजन बिहार सरकार द्वारा किया जाता है।
खुदरा व्यावसायिक संघ राजगीर ने यह बंद कराया था। इस बंद को सभी राजनीतिक दलों व संगठनों का समर्थन प्राप्त था। बंद के आयोजकों ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र राजगीर में मलमास मेला सैरात की 73 एकड़ से अधिक भूमि है। इस रकवा के आधे से अधिक भूमि पर अवैध अतिक्रमण है। इसका खुलासा जिला प्रशासन द्वारा नापी कराए जाने के बाद हुआ। वे बताते हैं कि पटना प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर के लिखीत निर्देश पर मलमास मेला सैरात भूमि की नापी करयी गयी है ।
नापी करने के बाद अतिक्रमणकारियों की पहचान कर ली गई है । इनमें कई बड़े-बड़े होटल, राजगीर गेस्ट हाउस, फार्म हाउस , घर व दुकानें शामिल हैं । बंद समर्थकों की माने तो नापी कराये तीन-चार महीने बीत गए हैं । इसके बावजूद इस सैरात भूमि को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया गया है । स्थानीय प्रशासन के द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है । आम नागरिकों को महसूस हो रहा है कि स्थानीय अधिकारी अतिक्रमणकारियों के मेल में आ गए हैं ।
इसीलिए वे अतिक्रमण हटाने की वजह अतिक्रमणकारियों को संरक्षण देने में जुटे हैं। स्थानीय अधिकारियों की डूलमूल रवैया से नाराज नागरिकों ने राजगीर बंद का आवाह्न किया था। जिला प्रशासन और राज्य सरकार को संदेश देने और स्थानीय अधिकारियों की दोहरी चरित्र को बताने के लिए राजगीर बंद कराया गया है। खुदरा व्यावसायिक संघ के अध्यक्ष निरंजन कुमार सिंह और सचिव धर्मराज प्रसाद इस बंद से बेहद खुश हैं । वे इसे ऐतिहासिक बंद करार दे रहे हैं । उन्होंने कहा कि इस सैरात भूमि को शीघ्र अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया गया तो चरणबद्ध और तीखे आंदोलन की जायेगी , जिसमें शांतिपूर्ण प्रदर्शन से लेकर धरना और अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल भी शामिल है । संघ के महासचिव नीरज कुमार और उपाध्यक्ष शंकर कुमार कहते हैं कि किसी भी सैरात भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए मात्र एक नोटिस की आवश्यकता है।
लेकिन राजगीर के अंचलाधिकारी द्वारा अतिक्रमणकारियो को जमीन का कागजात दिखाने का नोटिस दिया जा रहा है जो गैरकानूनी तरीका है । नापी के बाद जब अतिक्रमणकारी चिन्हित हो गये हैं तो इसे खाली कराने की कार्रवाई होनी चाहिए थी न कि भूमि और भवन से संबंधित दस्तावेज की मांग की जानी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि स्थानीय अधिकारी अतिक्रमणकारियों के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं । यही कारण है कि स्थानीय प्रशासन मामले को सुलझाने के बजाय उलझा रहा है। राजगीर सेवा समिति के उपाध्यक्ष उपेन्द्र कुमार, सचिव सुरेन्द्र प्रसाद, अरविंद कुमार, अनिल कुमार समेत अनेक लोगों ने आन्दोलन का समर्थन किया है ।