मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के सभी वर्गों के विकास के लिए सरकार की ओर से किये गये प्रयास का उल्लेख करते हुये आज कहा कि अतिपिछड़ा वर्ग के लोगों में इतनी जागृति आ गई है कि अब उनकी ताकत को कोई चुनौती नहीं दे सकता।
श्री कुमार ने पटेल मैदान में आयोजित कोशी प्रमंडल स्तरीय अतिपिछड़ा सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि उनकी सरकार ने न्याय के साथ विकास के तहत हर तबके और हर इलाके का विकास किया है। समाज का जो हिस्सा विकास की मुख्यधारा से अलग है, जिन लोगों की उपेक्षा हुई है ऐसे लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए विशेष पहल की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के इन प्रयासों की बदौलत ही अतिपिछड़ा वर्ग के लोगों में इतनी जागृति आ गयी है कि अब उनकी ताकत को कोई चुनौती नहीं दे सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीबी के कारण बिहार के बच्चे आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे, जिसको देखते हुए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना प्रारम्भ की गई। बैंकों के मनमाने रवैये के बाद सरकार ने अपने स्तर से शिक्षा वित्त निगम की स्थापना कर इसके माध्यम से उच्च शिक्षा हासिल करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए चार लाख रुपये का ऋण चार प्रतिशत की साधारण ब्याज दर पर देने की योजना बनाई। इसमें लड़कियों, दिव्यांगों एवं ट्रांसजेंडरों को एक प्रतिशत के ब्याज पर शिक्षा ऋण की व्यवस्था की गई है। नौकरी मिलने के बाद ही ऋण की राशि चुकता करनी है और यदि किसी कारण से कर्ज लेने वाले विद्यार्थियों को नौकरी नही मिलती है तो उस स्थिति में वह उन्हें ऋण से मुक्त कर देंगे।
कुमार ने कहा कि नवंबर 2005 में राज्य में उनकी सरकार बनने के बाद महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए पंचायत और नगर निकाय चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया, जिसका नतीजा है कि आज 50 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं जीतकर लोगों की सेवा कर रही हैं। संविधान में महिलाओं के लिए कम से कम एक तिहाई आरक्षण देने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि बिहार में न्यायपालिका में भी अतिपिछड़े, अनुसूचित जाति-जनजाति, महिलाओं सहित सबके लिए आरक्षण हो गया है।