अवैध रूप से वाहनों में लाल बत्ती इस्तेमाल करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और सामाजिक संघटनों के दबाव का असर दिखने लगा है.
खबर है कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने अपने आधिकारिक वाहन से लाल बत्ती हटा दी है. सहारा समय के अनुसार अपने आधिकारिक वाहन से लाल बत्ती हटाने के संबंध में प्रतिक्रिया देते हुएं निशंक ने कहा , ‘‘व्यक्ति अपनी शख्सियत की बदौलत जाना जाता है न कि अपने वाहन पर लगी लाल बत्ती से’’.
राज्य में पहली बार किसी पूर्व मुख्यमंत्री को मिली इस तरह की सुविधा उनके सरकारी वाहन से हटाई गयी है.
मानवाधिकार कार्यकर्ता अवधेश कौशल ने हाल में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को पत्र लिखकर राज्य में पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा अवैध तरीके से उठाई जा रही इस तरह की सुविधाओं को फौरन समाप्त करने को कहा था.
उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों भगत सिंह कोशियारी, रमेश पोखरियाल निशंक, भुवन चंद्र खंडूरी और एन डी तिवारी द्वारा अवैध तरीके से लाल बत्ती का इस्तेमाल करने पर आपत्ति जतायी थी.
ध्यान रहे कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने हाल ही में घोषणा की थी कि न तो उनके मंत्रिमंडल के सदस्य और न ही कोई नौकरशाह गाड़ियों में लाल-पीली बत्ती लगायेंगे.
इस बीच हमाचल प्रदेश में भी वाहनों में लाल बत्ती लगाने के खिलाफ मांग तेज हो गयी है. पूर्व नौकरशाहों के संगठन पीपुल्स वॉयस के उपाध्यक्ष केबी रल्हन ने कहा कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को अपने काफिले से वाहनों की संख्या भी घटानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि हम तीन सालों से मंत्रियों एवं अधिकारियों के वाहनों से लालबत्ती हटाने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा लाल और पीली बत्ती सत्ता और शक्ति का प्रतीक है जो लोकतांत्रिक समाज के लिए ठीक नहीं