बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने तमिलनाडु विधानसभा में शुक्रवार को विश्वास मत के दौरान हुई हिंसक घटना पर दुख जताते हुए कहा कि सदन की मर्यादा और अध्यक्ष पद की गरिमा को बरकरार रखने के लिए सभी दलों को मिलकर संविधान या सदन की कार्यसंचालन नियमावली में गुप्त मतदान नहीं कराने के विचार को स्पष्ट रूप से प्रावधानित कर देना चाहिए ।
श्री चौधरी ने पटना में विधानसभा स्थित समिति कक्ष में 23 फरवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र के संबंध में पत्रकारों से विमर्श के दौरान कहा कि तमिलनाडु विधानसभा में शुक्रवार को विश्वास मत के दौरान जिस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई उसके बाद सभी राजनीतिक दल विमर्श कर मुस्तैदी से फैसला नहीं लेते हैं तो लोकतंत्र के लिए भविष्य में काफी अनिष्टकारी होने वाला है। उन्होंने कहा कि विश्वास मत के लिए गुप्त मतदान कराने का कोई प्रावधान संविधान या सदन की कार्यसंचालन नियमावली में नहीं है ।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 100 की उप धारा एक में मतदान के लिए दो ही व्यवस्था का उल्लेख है । एक ध्वनिमत और दूसरा मत विभाजन है । गुप्त मतदान का कहीं उल्लेख नहीं है । उन्होंने कहा कि वर्ष 1985 में दल बदल को रोकने के लिए संविधान में संशोधन कर दसवीं अनुसूची को जोड़ दिया गया है, उसके बाद सदन के अंदर गुप्त मतदान की मांग असंवैधानिक है । श्री चौधरी ने कहा कि राजनीतिक स्वार्थ की सिद्धी के लिए संविधान से इतर मांग जायज नहीं है। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे सदन की मर्यादा और सभाध्यक्ष पद की गरिमा को बरकरार रखने के लिए सर्वसम्मति से गुप्त मतदान नहीं कराने के विचार को संविधान या सदन की कार्यसंचालन नियमावली में स्पष्ट रूप से प्रावधानित करायें ।