यह इत्तेफाक ही है कि अनंत सिंह के जेल जाने के बाद जद यू के दूसरे विधायक सुील पांडेय कानून के शिकंजे में आते दिख रहे हैं. जानिए सुनील पांडे का इतिहास
विनायक विजेता
आरा बम विस्फोेट कांड में दिल्ली से गिरफ्तार किए गए व बिहार सरकार द्वारा इनामी कुख्यात लंबू शर्मा द्वारा दिल्ली पुलिस को दिए सनसनीखेज स्वीकारोक्ति बयान से एक बार फिर बिहार की राजनीति गरमाने के आसार हैं।
लंबू शर्मा ने अपने स्वीकारोक्ति बयान में कहा है कि विधायक सुनील पांडेय ने उसे गाजीपुर (यूपी) के कुख्यात बाहुबली मुख्तार अंसारी की हत्या के लिए 50 लाख की सुपारी दी है। लंबू शर्मा को दिल्ली पुलिस ने पिछले दिनों जदयू के राज्यसभा सदस्य गुलाम रसुल बलियावी के आवास से गिरफ्तार किया था जहां उसे शरण दिलवाने में सुनील पांडे ने ही मदद की थी।
गौरतलब है कि बाहुबली विधायक सुनील पांडे राजनीति में आने के पहले उस समय चर्चित हुए थे जब वर्ष 1999 में उनका शूटर कुख्यात नंद गोपाल पांडे उर्फ फौजी विक्रमगंज में गिरफ्तार हुआ था। 7 फरवरी 1999 को तब विक्रमगंज पुलिस को अपने दिए बयान में फौजी ने सुनील पांडे, उनके भाई हुलास पांडे के साथ कई बैंक लूट, अनेकों हत्या के साथ कई जघन्य अपराधों में संलिप्त होने की बात स्वीकार की थी।
खुलेंगी कई परतें
इसी फौजी पर वर्ष 2006 में पांडव सेना के कुख्यात बबलु सिंह और अशोक सिंह की गढ़वा में गोली मार कर हत्या हत्या कर दने का आरोप लगा था। फिलवक्त फौजी फरार है। तब भी यह चर्चा थी कि ठेकेदार मामले को लेकर अनबन होने के कारण सुनील पांडे और उनके भाई हुलास पांडे के इशारे पर ही ये हत्या हुई।
ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में भी पुलिस फोजी की तलाश कर रही है। इधर सुनील पांडे लंबू शर्मा से अपना किसी तरह का संबंध होने की बात को नकारते हुए कहा कि वह लंबू शर्मा को जानते पहचानते तक नहीं। उन्हें एक राजनीतिक साजिश के तहत फसाने की कोशिश हो रही है।
चर्चा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता को एक बार फिर से सुशासन का पैगाम देना चाह रहे हैं. इसलिए वह दागी विधायकों से किनारा करना चाहते हैं. इसकी शुरुआत निकाय कोटे से जदयू के विधान परिषद सदस्य रहे सुनील पांडे के छोटे भाई हुलास पांडे को टिकट न देकर यह सीट राजद को दे दी गई जिससे क्षुब्ध होकर हुलास लोजपा में चले गए और इसी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
इसी तरह का हाल मोकामा के बाहुबली जदयू विधायक अनंत सिंह का है जो फिलवक्त जेल में हैं और उन्हें जेल से चुनाव पूर्व बाहर न आने देने की जुगत चल रही है। संभावना है कि अक्टूबर-नवम्बर में होने विधान सभा चुनाव तक जदयू अनंत सिंह और सुनील पांडेय को हाशिए पर डालकर उनका टिकट काट सकता है।