अनुसूचित जनजातियों के राष्ट्रीय आयोग के चेयरमैन डॉ रामेश्वर ओरांव ने आयोग की सालाना रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी है.
यह रिपोर्ट 2010-11 के दौरान अनुसूचित जनजातियों की सुरक्षा के लिए काम करने संबंधी है. रिपोर्ट सौंपते समय आयोग के सदस्य बी एल मीणा भी ओरांव के साथ थे.
अनुसूचित जनजातियों के राष्ट्रीय आयोग की स्थापना 19 फरवरी 2004 को संविधान की धारा 338 में संशोधन करते हुए और इसमें नई धारा 338ए शामिल करके की गई थी. धारा 338 ए निर्देशित करती है कि अनुसूचित जनजातियों का राष्ट्रीय आयोग अनुसूचित जनजातियों की सुरक्षा के लिए किये जाने वाले कामों की रिपोर्ट प्रत्येक वर्ष राष्ट्रपति को सौंपेगा.
रिपोर्ट में अनुसंशाओं के निष्कर्ष के रूप में 7 चैप्टर शामिल हैं.
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार आयोग की रिपोर्ट को संघ से संबंधित अनुसंशाओं के प्रस्तावों अथवा कार्यवाही के विवरण के ज्ञापन के साथ संसद के दोनों सदनों में रखा जाएगा. ठीक इसी प्रकार की कार्यवाही राज्य से संबंधित अनुसंशाओं पर राज्य सरकारों को भी करनी होगी जब रिपोर्ट को संबंधित राज्यों की विधानसभाओं में रखा जाएगा.