जनता परिवार के विलय की कवायद नाकाम होने के बाद अब राजद प्रमुख लालू यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी-अपनी जमीन की तलाश में जुट गए हैं। इसके लिए दोनों अलग-अगल रणनीति पर काम कर रहे हैं।
नौकरशाही ब्यूरो
बिहार में ‘जंगलराज सेकेंड’ को मुद्दा बनाकर भापजा राजद और जदयू दोनों पर एक साथ निशाना साध रही है। इसका मुक्कमल जवाब देने के लिए लालू व नीतीश एक साथ आने के बजाए अलग-अगल राग अलाप रहे हैं। नीतीश कुमार ने 14 मार्च को एक दिन का उपवास रखा तो लालू यादव ने 15 मार्च को राजभवन मार्च का आयोजन किया। दोनों का मुख्य मुद्दा था भूमि अधिग्रहण बिल का विरोध। दरअसल नाकामियों का आरोप झेल रहे नीतीश और भ्रष्टाचार के लिए बदनाम रहे लालू के बीच विश्वास और विलय की कोशिश हर बार नाकाम हो जा रही है। यही कारण है कि दोनों एकता का राग अलापते-अलापते अगल-अगल रास्ते पर चल पड़ते हैं।
अपनी-अपनी राह
तकनीकी कारणों से विलय असंभव प्रतीत हो रहा है। फिर व्यावहारिक रूप से दोनों साथ आने के लिए अपने-अपने आग्रह को त्यागने के लिए तैयार नहीं हैं। नीतीश के पास विधायकों की संख्या का दावा है तो लालू के पास वोट होने का दावा है। दोनों अपनी-अपनी तर्कों को मजबूत मान रहे हैं। इससे दोनों के बीच अविश्वास का वातावरण बनता जा रहा है। यही कारण है कि दोनों आपस में समन्वय के बजाय आमने-सामने ही नजर आ रहे हैं। इसके लिए वह अपनी-अपनी रणनीति बना रहे हैं। भूमि अधिग्रहण बिल ने दोनों को भापजा के खिलाफ एक मजबूत मुद्दा थमा दिया है। इस मुद्दे पर दोनों सड़क पर उतर आए हैं, लेकिन साथ-साथ आने को तैयार नहीं हैं। अब देखना है कि ‘छद्म दोस्ती या विरोध’ का असली चेहरा कब तक सामने आ पाता है।