राज्यपाल राम नाथ कोविन्द ने देश के वरिष्ठ नागरिकों का ज्ञान और लंबे अनुभवों का राष्ट्रहित में उपयोग करने की जरूरत पर बल दिया है। श्री कोविंद ने पटना में कहा कि आज एकल परिवार की अवधारणा से वृद्धजनों की समस्याएँ बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान अलगाव के दौर में व्यक्ति-व्यक्ति के बीच प्रेम, श्रद्धा, स्नेह, ममत्व, समर्पण, त्याग आदि भावों को विकसित करने के लिए अपनी सांस्कृतिक विरासतों और शिक्षाओं को पूरी श्रद्धा के साथ ग्रहण करना होगा। समाज में सांस्कृतिक जड़ें अबभी काफी गहरी हैं। जरूरत सिर्फ इन्हें अपने संस्कारों और संवेदना के जल से सिंचित करने की है।
उन्होंने कहा कि यदि अब भी सभी अपनी संस्कृति की छाँव में अपने सम्बन्धों को सही सन्दर्भ में मूल्यांकित करते हुए एक दूसरे की जरूरतों को ठीक से समझने लगें तो सामाजिक स्वरूप फिर से निखर उठेगा और घर-परिवार महकने लगेंगे। राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान दौर में प्रभावी कानून बनाने या सामाजिक सुरक्षा की विभिन्न योजनाओं से वरिष्ठ जनों को लाभान्वित करने के साथ-साथ बच्चों को बड़ों का आदर करने की शिक्षा भी आरंभ देनी होगी।
श्री कोविंद ने कहा कि भारत को युवा राष्ट्र कहा जाता है। ऐसा इसलिए कि आज भारत की कुल आबादी में युवाओं की आबादी लगभग 70 प्रतिशत है। आँकड़े बताते हैं कि भारत में बुजुर्गो की आबादी 16 करोड़ से बढ़कर आगामी वर्ष 2050 तक 30 करोड़ हो जाएगी। साठ साल या इससे ज्यादा की उम्र के लोगों की आबादी में वृद्धि की दर वर्ष 1980 के मुकाबले आज दोगुनी से ज्यादा है।