जनता दल यू का चुनाव प्रचार करने के लिए एक समय मोटी रकम पर हॉयर किये गये प्रशांत किशोर पर पार्टी फोरम पर पहली बार सवाल उठा है.
नौकरशाही न्यूज
वैसे प्रशांत किशोर पर नीतीश कुमार की खास दृष्टि पर अंदरखाने में शुरू से सवाल उठते रहे हैं. लेकिन रविवार को जद यू की नवगठित कार्यकारिणी में कुछ लोगों ने खुल कर बोला. बात यहां तक आ पहुंची कि भरी मीटिंग में यह सवाल किया गया कि विधानसभा चुनाव में जद यू की जीत, किसकी जीत है?. क्या यह प्रशांत किशोर की जीत है, नीतीश कुमार की जीत है या पार्टी की जीत है ?
महत्वपूर्ण बात यह है कि कार्यकारिणी के कुछ लोगों ने यह सवाल सीधे नीतीश कुमार से कर दिया. इस असहज सवाल पर नीतीश ने हालांकि सधा हुआ जवाब दिया. नीतीश ने कहा- “यह सबकी जीत है. उन्होंने कहा उदार बनिये. संकीर्ण मानसिकता के दायरे में रह कर कोई बात न सोचें”.
अब भी है उबाल
याद रखने की बात है कि ये वही प्रशांत किशोर हैं जिन्हें जनता दल यू ने मोटी रकम दे कर चुनाव प्रचार के लिए हॉयर किया था. प्रशांत की टीम ने सोशल मीडिया से ले कर जमीन तक प्रचार किया. इस काम के लिए प्रशांत किशोर को कितनी रकम दी गयी थी, यह औपचारिक रूप से कभी सार्वजनिक नहीं हुआ. पर कुछ जानकारों का कहना है कि इसके करोड़ों रुपये खर्च किये गये.
चुनाव जीतने के बाद नीतीश कुमार ने प्रशांत को लाइन से हट कर तरजीह देनी शुरू कर दी. इतना ही नहीं उन्हें हाल ही में अपना सलाहकार नियुक्त कर दिया. इसके लिए उन्हें कैबिनेट रैंक का दर्जा भी दिया गया. हालांकि प्रशांत किशोर के कई चुनावी प्रयोग बुरी तरह फ्लाप रहे. यहां तक कि उनके ‘बढ़ चला बिहार’ कार्यक्रम को अदालती झटका तक लगा. सरकारी पैसे से पार्टी का प्रचार करने के खिलाफ अदालत ने इस पर रोक तक लगायी.
सरगर्मी
लेकिन जनता दल यू के संगठन पर प्रशांत की पकड़ चुनाव से पहले ही मजबूत हो गयी थी. कई बार उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों का सार्वजनिक क्लास भी लगाया था. इतना ही नहीं उन्होंने प्रवक्ताओं को, कब क्या बोलना है और सार्वजनिक मंचों पर पार्टी का पक्ष कैसे रखना है, यह भी समझाते देखे गये. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, प्रशांत की संगठन पर बढ़ती पकड़ और वरिष्ठ नेताओं का क्लास लेने जैसे व्यवहार से अनेक नेता खिन्न थे. लेकिन कोई इतना साहस नहीं कर पा रहा था कि उनके खिलाफ कोई बोले.
लेकिन रविवार को हुई कार्यकारिणी की बैठक में प्रशांत का मुद्दा खुल कर सामने आ ही गया और यह सवाल नीतीश करुमार के सामने ही उठ गया.
नीतीश के जवाब से भले ही किसी ने कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की लेकिन एक वरिष्ठ नेता ने नौकरशाही डॉट कॉम को अपनी नाराजगी बताते हुए कहा- जो व्यक्ति करोड़ों रुपये में अपनी सेवा पार्टी को बेचा हो वह पार्टी के प्रति निष्ठावान कब तक और कैसे हो सकता है. एक खास व्यक्ति को इतनी प्राथमिकता देना, पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं पर अविश्वास को दर्शाता है.
याद दिलाने की बात है कि प्रशांत किशोर को न सिर्फ सीएम का सलाहकार बनाया गया है बल्कि उन्हें नवगठित बिहार विकास मिशन का सदस्य भी बनाया गया है. उस बिहार विकास मिशन का सदस्य जिसके सदस्य प्रधानसचिव स्तर के आईएएस भी बनाये गये हैं.