कार्पोरेट जगत की कम्पनी अडानी ग्रूप पर मेहरबानी के लिए चर्चित मोदी सरकार ने एक और एहसान करते हुए उस पर लगे दो सौ करोड़ के जुर्माने को वापस लेने का पैसला किया है.
मोदी सरकार ने अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड पर लगा 200 करोड़ रुपए का जुर्माना वापस लेने का फैसला किया है। यह जुर्माना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के आरोप में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान लगाया गया था।
पर्यावरण संबंधित नियमों के उल्लंघन के लिए लगाया गया यह सबसे बड़ा जुर्माना था।
बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक, कंपनी के गुजरात के मुंद्रा स्थित वाटरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को 2009 में पर्यावरण मंत्रालय की ओर से क्लीयरेंस मिला था, उसे और बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा, कंपनी को जारी कई नोटिस को भी वापस ले लिया गया है।
मंत्रालय और अडानी दोनों चुप
बिजनेस स्टैंडर्ड मुताबिक, ये फैसले सितंबर 2015 में लिए गए। बिजनेस स्टैंडर्ड का यह भी कहना है कि उनकी ओर से भेजे गए मेल का पर्यावरण मंत्रालय या अडानी ने कोई जवाब नहीं दिया है।
इस प्रोजेक्ट के खिलाफ मामला गुजरात हाई कोर्ट में था। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 2012 में सुनीता नारायण कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी का काम मुंद्रा प्रोजेक्ट की वजह से पर्यावरण को पहुंच रहे नुकसान के आरोपो की जांच करना था। कमेटी ने पाया कि कई नियमों का उल्लंघन किया गया। यह भी पाया कि बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा। कमेटी ने प्रोजेक्ट की कीमत का एक पर्सेंट या 200 करोड़ रुपए (जो भी ज्यादा हो) का जुर्माना भरने के लिए भी कहा था।
गौरतलब है कि अडानी ग्रूप के गौतम अडानी नरेंद्र मोदी के काफी करीब माने जाते हैं. पिछले दो साल में नरेंद्र मोदी के संग ज्यादातर विदेश दौरों में गौतम अडानी मौजूद रहे हैं.