पुलिस महानिदेशक रैंक के अधिकारी और मौलाना आजाद फाउंडेशन के सचिव एम.डब्ल्यू अंसारी को पद से हटाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. इस मामले में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहमान खान घिरते जा रहे हैं.
केंद्र सरकार ने अंसारी को पिछले 1 मई को पदमुक्त करते हुए उन्हें अपने पैरेंट कैडर में वापस जाने का फरमान जारी कर दिया था. ध्यान रहे कि मौलाना आजाद फाउंडेशन केंद्रीय अल्पसंख्याक कल्याण मंत्रालय के अधीन काम करता है.
नौकरशाही डॉट इन को जो खबरें मिली हैं उसके अनुसार अल्प संख्यक कल्याण मंत्री के रहमान खान की हां में हां, न मिलाने और उनके मनपसंद नजीओज को योजना राशि मंजूर न करने के कारण अंसारी को हटाया गया है.
ध्यान रहे कि मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन( एमएईएफ) अल्पसंख्यक छात्रों को स्कालरशिप और उनकी पढ़ाई व रोजगार पर सैकड़ों करोड़ रुपये का फंड वितरित करता है.
फाउंडेशन में फूंकी नयी जान
पिछले कई सालों से मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन( एमएईएफ) एक निष्क्रिय संस्था के रूप में बदनाम रहा है. 100 करोड़ रुपये के सालाना फंड के बावजूद एमएएफ वित्त वर्ष 2011-12 में महज एक लाख रुपये का उपयोग कर सका था. लेकिन जब से इसका सचिव एम. डब्लू अंसारी को बनाया गया था तब से इसने 35 हजार छात्रों को स्कॉलरशिप देकर एक रिकार्ड बना दिया था. इतना ही नहीं अंसारी ने जबसे एमएएफ के सचिव की जिम्मेदारी संभाली थी, उन्होंने ऐसे दर्जन भर एनजीओज को ब्लैकलिस्टेड कर दिया जो भ्रष्टाचार में लिप्त थे और फाउंडेशन से ग्रांट हासिल कर फर्जीवाड़ा कर रहे थे.
एमएएफ सूत्रों का कहना है कि अंसारी के पद संभालने के बाद से फाउंडेशन में नयी जान आ गयी थी और इसने एक साल में जितना काम किया था उतना काम इसने पिछले चार साल में भी नहीं किया.
लेकिन सवाल यह है कि जिस अधिकारी की तारीफ खुद फाउंडेशन के अन्य अधिकारी करते हों उन्हें अचानक बिना वजह बताये उनके पैरेंटल बॉडी में भेजने का फरमान क्यों जारी कर दिया गया? फाउंडेशन के सूत्र बताते हैं कि अंसारी के काम करने का पारदर्शी तरीका और उनकी विश्वसनीयता ही उनके हटाये जाने की वजह बन गयी.
एमडब्ल्यू अंसारी के हटाये जाने का अब भारी विरोध शुरू हो गया है. फोरम फॉर मुस्लिम स्टडीज ऐंड एनालाइसिस के सचिव जसीम मोहम्मद ने यूपीए सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के रहमान खान ईमानदार अधिकारियों को काम करने नहीं देना चाहते.
अंग्रेजी अखबार डीएनए ने अपने सूत्र के हवाले से लिखा है कि गर्वनिंग काउंसिल की बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के रहमान खान और फाउंडेशन के सचिव अंसारी के बीच कुछ एनजीओ को ब्लैकलिस्टेड किये जाने पर तकरार पैदा हो गया था. बताया जाता है कि रहमान खान एक खास एनजीओ को ब्लैकलिस्ट किये जाने पर खासे नाराज थे और वह चाहते थे कि उसे ग्रांट जारी रखा जाये, पर अंसारी ने उस एनजीओ के आचरण पर प्रश्न चिंह लगाते हुए उसे ग्रांट देने से इनकार कर दिया था.
इस घटना के बाद केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के रहमान खान और मौलाना आजाद फाउंडेशन के सचिव एम.डब्ल्यू अंसारी आमने-सामे आ गये थे.
हालांकि इस संबंध में रहमान खान की प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आयी है लेकिन उनके दफ्तर के एक अधिकारी ने डीएनए को बताया था कि सचिव एमडब्लू अंसारी ने फाउंडेशन के भवन निर्माण में 15 प्रतिशत अतिरिक्त राशि खर्च की थी.
जब इस संबंध में नौकरशाही डॉट इन ने अंसारी से बात की तो उनका सीधा कहना था कि मंत्री को ईमानदार अधिकारी की जरूरत नहीं है और वह चाहते हैं कि फाउंडेशन में वैसे लोगों का आधिपत्य रहे जो हर तरह का फर्जीवाड़ा करते हैं. असारी आगे कहते हैं मैंने जितनी ईमानदारी से काम किया है इसका सुबूत देने के बजाये मैं इस पर हर तरह की जांच को तैयार हूं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग अल्पसंख्यक समाज की बदहाली के नाम पर खुद अपनी चांदी काटना चाहते हैं और मैं इस तरह काम में उनके लिए बाधा था.