रालोसपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की किश्ती ही अपने ही घाट पर डूबती नजर आ रही है। एनडीए में उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा के लिए 23 सीटें आवंटित की गयी हैं। इनमें से कुशवाहा ने 17 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। लेकिन वे उनके अपने ही संसदीय क्षेत्र काराकाट की दो सीटों ओबरा और डिहरी के लिए उम्मीदवार तय नहीं कर पा रहे हैं।
वीरेंद्र यादव
काराकाट लोकसभा के तहत विधान सभा की छह सीटें आती हैं। इसमें से चार सीटों गोह, नवीनगर, नोखा और काराकाट में भाजपा ने अपने उम्मीदवार पहले ही घोषित कर दिए हैं। इसके बाद दो सीट ओबरा व डिहरी स्वाभाविक रूप से रालोसपा की मान ली गयी। लेकिन अब भाजपा इस सीट पर अपना दावा कर रही है और इसके बदले दूसरी सीट देना चाहती है। सूत्रों के अनुसार, ओबरा समेत विधान सभा की छह सीटें संभावित रूप से रालोसपा के खाते में थी, लेकिन अब इस सीटों के बदले भाजपा रालोसपा को दूसरी सीट देना चाहती है। मामला यहीं पर उलझ गया है। हालांकि इस मुद्दे पर उपेंद्र कुशवाहा आज भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करने वाले हैं।
ओबरा में जातीय समीकरण का संकट भी कम नहीं है। उपेंद्र कुशवाहा कुशवाहा जाति को टिकट देना चाहते हैं, जबकि भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ता भूमिहार को टिकट देने के लिए दबाव बना रहे हैं। दूसरी मजबूरी है कि भाजपा ने ओबरा से लगे गोह और अरवल में भूमिहार उम्मीदवार दिया है। इसलिए उपेंद्र कुशवाहा भूमिहार को टिकट देने के पक्ष में नहीं हैं। यहां से राजद ने यादव को टिकट थमा दिया है। अब देखना रोचक होगा कि ओबरा सीट किस पार्टी और किस जाति के खाते में जाती है।
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