एक जमाने में न सिर्फ खूनखार क्रिमिनल्स बल्कि अपराधियों के प्रशिक्षक रहे शंभू और मंटू पटना के बेऊर जेल से छूटने ही वाले हैं और खबर है कि ये राजनीति में भविष्य तलाशने की तैयारी में हैं.
विनायक विजेता, पटना
उत्तर बिहार और राजधानी पटना में कभी आतंक का पर्याय माने जाने वाला शंभू और मंटू अब राजनीति में अपना भविष्य की तलाश करेगा। फिलवक्त दोनों पटना के बेऊर जेल में बंद हैं। मंटू सिंह को जहां एसटीफ ने बीते वर्ष लखनऊ के गोमती नगर से गिरफ्तार किया था वहीं शंभू सिंह ने इसी माह पटना के एसएसपी मनु महाराज के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
आत्मसमर्पण के बाद उसे भी बेऊर जेल भेज दिया गया। इन दोनों के जेल जाने के बाद इसका गिरोह छिन्न भिन्न हो गया। शंभू और मंटू जेल में बंद अपने कुछ परिचित साथियों के साथ जिस तरह से बात कर रहा है उससे यह संकेत मिल रहा है कि दोनों ने अब अपराध से तौबा करने का मन बना लिया है और जमानत पर छूटने के बाद दोनों राजनीति में अपना भविष्य तलाशेंगे।
तीसरा अपराधी सरेंडर करने की तैयारी में
शंभू मंटू गिरोह का एक अन्य शूटर राजीव सिंह (मुजफ्फरपुर) भी अब अपराध से तौबा करने का मन बना रहा है। अब तक पुलिस की गिरफ्त से बचा रहने वाला राजीव सिंह द्वारा भी जल्द ही न्यायालय में आत्मसमर्पण करने की संभावना है। शंभू-मंटू के बारे में बताया जाता है कि दोनों ने अपराध का ककहरा उत्तर बिहार के एक पूर्व बाहुबली विधायक के संरक्षण में सीखा और वहीं से अत्याधुनिक हथियारों को चलाने का प्रशिक्षण भी लिया।
पूर्व में दोनों, विधायक के उन दो भाइयों के साथ रहते थे जिन दोनों की गैंगवार में बारी-बारी से हत्या कर दी गई। सूत्र बताते हैं कि शंभू-मंटू ने विधायक के भाइयों के हत्यारों को भी निपटाने में अहम भूमिका निभायी। इसके अलावा टेंडरवार में दर्जनों हत्याएं की।
पटना के शास्त्री नगर इलाके में स्थित केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) कार्यालय में तो शंभू-मंटू गिरोह की तूती बोलती थी जहां इस गिरोह की इजाजत के बिना किसी ठेकेदार को कोई टेंडर लेने की इजाजत नहीं थी। जिस ठेकेदार ने इनके विरुद्ध जाने की कोशिश की उसे इस कार्यालय के अंदर या बाहर गोलियों से छलनी कर दिया गया। शंभू और मंटू की एक काफी पुरानी तस्वीर हाथ लगी है। तस्वीर तो पूरी तरह स्पष्ट नहीं है पर इस तस्वीर में दोनों अपने हाथ में एके-47 जैसे अत्याधुनिक हथियार लिए दिख रहे हैं।
17 साल पुरानी तस्वीर
यह तस्वीर आज से 17 साल पहले उस समय की है जब उत्तर बिहार और खासकर मुजफ्फरपुर गैंगवार से त्रस्त था और इसी गैंगवार में नरेश सिंह उर्फ मोछू नरेश, मिनी नरेश, चंदेश्वर सिंह, महंत रामलगन दास, छोटन शुक्ला, भुटकुन शुक्ला (दोनों पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला के भाई) रामू ठाकुर सहित लगभग एक दर्जन सरगना गैंगवार में मारे गए थे। बहरहाल अपराध से राजनीति में आए कई बाहुबलियों की तरह शंभू-मंटू भी अगर आने वाले समय में अपराध का रास्ता छोड़कर राजनीति में अपना भविष्य तलाश करे तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।