पटना के मेयर अफजल इमाम की पत्नी महजबीं अफजल ने आखिरकार चुनावी बिसात की पहली जंग जीत ली. उन्होंने वार्ड 52 से रजिया सुलताना को हराया. महजबीं के लिए अगली चुनौती पटना के मेयर की कुर्सी प्राप्त करना है. लेकिन रास्ते में क्या चुनौतियां हैं आइए जानें.
नौकरशाही डेस्क
पटना नगर निगम का 2017 के इस चुनाव में वार्ड 52 को महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिये जाने के कारण पटना के मेयर अफजल इमाम ने अपनी वाइफ महजबीं अफजल को चुनाव मैदान में उतारा था. लेकिन इस वार्ड में पिछले 15 वर्षो में पहली बार ऐसा हुआ कि मुकाबला जोखिम भरा हो गया. अफजल के मित्र रह चुके मुंतजिर, जो हर बार अफजल की जीत सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाया करते थे, इसबार अफनी पत्नी को मैदान में खड़ा कर दिया. उनकी पत्नी रजिया सुलताना के खड़ा हो जाने के कारण महजबीं की चुनौती काफी गंभीर हो गयी थी. लेकिन आखिरकार महजबीं की जीत हो गयी. महजबीं को कुल वोट 4700 (लगभग) आये जबकि रजिया को 4000( लगभग) वोट मिले. तीसरे स्थान पर नीतूं कुमारी रहीं जिन्हें 700 के आसपास वोट मिले.
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लेकिन इस बार मेयर पद पर किसी भी कंडिडेट के लिए जीत हासिल करना पिछली बार की ही तरह न सिर्फ चुनौती भरा होगा, बल्कि पेचीदा भी होगा. भले ही वार्ड स्तर के चुनाव तक राजनीतिक दलों की दखलअंदाजी बहुत नहीं होती लेकिन मेयर के चुनाव के लिए जद यू, भाजपा और राजद तीनों दलों का अपना-अपना गणित होगा. अगले दो एक दिनों में, दलों के गणित और मेयर प्रत्याशियों के प्रति वार्ड सदस्यों की वफादारी की परतें खुल कर साफ होंगी. तबी ही जा कर कुछ अनुमान लगाया जा सकता है.
मेयर का चुनाव 19 जून को हो ना है
लेकिन पहली नजर में यह साफ है कि अफजल इमाम के समर्थन में जितनी मुश्किलें पिछली बार पेश आयीं थी उससे ज्यादा कठिन लड़ाई इस बार होगी. क्योंकि पिछली बार अफजल को अनंत सिंह का भी समर्थन प्राप्त था, पर इस बार भी अनंत सिंह उनके समर्थन में खड़े हो जायेंगे यह पूरी तर से कहना कठिन है. ऐसा इसलिए कि पिछली बार अनंंत सिंह जद यू के विधायक थे और अफजल को जद यू का समर्थन प्राप्त था. पर इस बार अनंत सिंह जदयू से बाहर हैं और निर्दलीय विधायक हैं, लिहाजा उन्हें जद यू का समर्थन तो मिल जायेगा पर अनंत सिंह के समर्थन के बारे में कुछ कहना फिलहाल मुश्किल है. हालांकि कुछ सूत्रों का कहना है कि अनंत सिंह की निकटता पिछले कुछ दिनों से भाजपा की तरफ बढ़ी है.