बिहार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने बैंकों को जोरदार तरीके से फटकारा. नाराज सिद्दीकी ने बैंकर्स मीटिंग में यहां तक कह डाला कि इस मीटिंग में कार्यकारी निदेशक स्तर से नीचे के अधिकारी को शामिल होने की जरूरत नहीं.
दर असल वित्त मंत्री इस बात को ले कर नाराज थे कि बैंको ने राज्य में बीते साल 1640 शाखायें खोलने का वादा किया था लेकिन उन्होंने मात्र 140 ब्रांच खोले. वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसे नहीं चलेगा. उन्हों हिदायत भरे लहजे में कहा कि जब बिहार से पिछले साल 2.65 लाख करोड़ जमा किये गये और जब लोन वितरण की बारी आयी तो बैंकों ने मात्र एक लाख करोड़ रुपये लोगों को दिये. उन्होंने कहा कि साख जमा अनुपात की यह दर चिंताजनक है.
गौरतलब है कि पिछले वर्ष बैंक अधिकारियों की मीटिंग में भी सिद्दीकी ने ऐसी चिंता जतायी थी. लेकिन उसका भी कोई ध्यान बैंको ने नहीं रखा था. इस पर सिद्दीकी ने कहा कि केवल कोरम पूरा करने के लिए बैठक करने का क्या मतलब है.
दर असल बिहार स्थित बैंको पर यह आरोप लगता रहता है कि वे बिहारियों से धन तो इकट्ठा करते हैं लेकिन बिहार के लोगों को लोन नहीं देते. वे अन्य राज्यों को बिहार के पैसे देते हैं. आम लोगों में भी बैंकों के इस रवैये से नाराजगी है. इस अवसर पर सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने तथ्य पेश करते हुए कहा कि बिहार में एक करोड़ से अधिका किसान हैं पर उनमें से मात्र 14 लाख को ही लोन दिये गये.