भाजपा दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारों को आदर्श मानती रही है। भाजपा के किसी कार्यक्रम की शुरुआत इन दो महापुरुषों की तस्वीर पर मार्ल्यापण से ही होती है। लेकिन अब भाजपा इंदिरा गांधी को भी अपना आदर्श मानने लगी है और इंदिरा गांधी के साथ ‘नीतियों का नाता’ जोड़ रही है। इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी की नीतियों में समानता के सूत्र तलाश रही है।
वीरेंद्र यादव
इंदिरा और नरेंद्र की नीतियों में तलाश रही एकरूपता
भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने हाजीपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण शिविर को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पीएम नरेंद्र मोदी की नीतियों के सूत्र भी जोड़े। उन्होंने कहा कि देश को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने और गरीबी मिटाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सोच में समानता है। विचारों में एकरूपता है। राधामोहन सिंह ने अपनी बात और तर्कों का आगे बढ़ाते हुए कहा कि इंदिरा गांधी ने चार दशक पहले देश को आर्थिक रूप से सबल और समृद्ध बनाने के लिए निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने किया था। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने उसी काम को आगे बढ़ाया है। श्री सिंह ने कहा कि पीएम मोदी ने देश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और गरीबों के कल्याण के उद्देश्य से वित्तीय समावेशन के तहत गरीबों को बैंकों से जोड़ने के लिए जन धन योजना और बीमा योजना की शुरूआत की है।
‘कमल’ के साथ इंदरा गांधी की हो रही ‘ब्रांडिंग’
कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के तर्कों को एकदम सिरे खारिज भी नहीं किया जा सकता है। इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाओ का नारा दिया था, जिसका मकसद आम लोगों के जीवन में खुशहाली लाना था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गरीबी हटाने का संकल्प दुहरा रहे हैं। तब सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या भाजपा का कांग्रेसीकरण हो रहा है? क्या भाजपा उत्तर प्रदेश में कमजोर पड़ रही कांग्रेस के आधार वोट को इंदिरा गांधी की नीतियों के बहाने अपनी ओर आकर्षित करना चाहती है ? क्या भाजपा इंदिरा गांधी के नाम पर परंपरागत वोटों में सेंधमारी करना चाह रही है ? कई संभावनाएं हो सकती हैं। अब कांग्रेस को सतर्क हो जाने की जरूरत है कि यदि इंदिरा गांधी की नीतियों को भाजपा ‘कमल’ के साथ ‘ब्रांडिंग’ करने में सफल रही तो गांधी परिवार की परेशानी बढ़ सकती है।