जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद शरद यादव कोसी की सीमाओं से बाहर निलककर अब गंगा की धारा को अविरल रखने के लिए आंदोलन करेंगे और इस मामले को संसद भी उठाएंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार विकास की आड़ में गंगा के हिमालयी बेसिन में बांध परियोजनाओं को बढ़ावा दे रही है, जबकि विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने इसका विरोध किया था।
श्री यादव नई दिल्ली में पत्रकारों से चर्चा में आरोप लगाया कि गंगा को अविरल बनाने और उसकी सफाई का दावा कर रही मोदी सरकार हिमालय में ही इस नदी की भ्रूण हत्या करने की तैयारी में हैं। श्री यादव ने कहा कि पिछले साल केदारनाथ में आयी प्रलंयकारी आपदा से सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा है। श्री यादव ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में 450 जल विद्युत परियोजनाएं प्रस्तावित हैं। इनमें गंगा, भागीरथी और अलकनंदा बेसिन में 70 बांध बन रहे हैं। इन बांधों से केवल एक प्रतिशत बिजली मिलेगी और इसके लिए पूरे हिमालय को तहस-नहस किया जा रहा है। अगर हिमालय ही नहीं रहेगा तो गंगा और उसकी सहायक नदियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद हिमालय के बन रहे बांधों की समीक्षा के लिए चोपड़ा समिति का गठन किया था, लेकिन सरकार इसकी रिपोर्ट दबाकर बैठी है। समिति का साफ कहना है कि इस तरह के निर्माण से पहाड़ों की तबाही होगी और गंगा का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। श्री यादव ने कहा कि नौ दिसंबर को उच्चतम न्यायालय में इस मामले की अगली सुनवाई होनी है। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र को क्षत-विक्षत करके गंगा की निर्मलता की कल्पना नहीं की जा सकती है और इस बात को समझने की जरूरत है।