भारतीय अंतरिक्ष यान ने फ्रांस, जर्मनी, कनाडा और सिंगापुर के उपग्रहों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपण करके नया अध्याय लिखा है साथ ही अब तक इसन 19 देशों के उपग्रह प्रक्षेपित कर भारी विदेशी मुद्रा अर्जित की है.
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में प्रथम प्रक्षेपण पैड से सोमवार सुबह 9 बजकर 52 मिनट पर रॉकेट को छोड़ा गया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री भी मौजूद थे. धानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि को देश की अंतरिक्ष क्षमता की अभिपुष्टि करार दिया है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के चेयरमैन डा. के राधाकृष्णन ने पिछले साल इकॉानामिक टाइम्स को दिये एक साक्षात्कार में कहा था कि इसरो का काम बनाना नहीं है लेकिन अखबार के अंदाजे के मुताबिक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान का कारोबार 125 बिलियन डॉलर का हो चुका है.
पिछले कुछ सालों में अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो (ISRO) की वैश्विक स्वीकार्यता का यह सुबूत ही है कि अब तक इसरो ने 19 देशों के 35 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है, जिससे देश के पास काफी विदेशी मुद्रा आई है. ये देश अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इस्राइल, इटली, जापान, कोरिया, लक्जमबर्ग, सिंगापुर, स्विटजरलैंड, नीदरलैंड, तुर्की और ब्रिटेन हैं।.
आइए जाने इसरो और उसके यान के बारे में
प्रक्षेपण यान
उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाने वाले विशाल रॉकेट को प्रक्षेपण यान कहा जाता है. प्रक्षेपण यान में तीन या चार चरण होते हैं। पृथ्वी की सतह से निकलने के बाद प्रक्षेपण यान एक उपग्रह/अंतरिक्ष यान को उसकी कक्षा में स्थापित करने के लिए दस से तीस मिनट के बीच का समय लेता है। भारत में प्रक्षेपण यानों के विकास कार्यक्रम की शुरुआत 1970 के दशक के प्रारंभ में हुई.
पीएसएलवी
ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान को संक्षेप में पीएसएलवी कहते हैं. यह इसरो का पहला ऑपरेशनल प्रक्षेपण यान है। पीएसएलवी 1600 किलोग्राम भार के उपग्रहों को ध्रुवीय कक्षा में 620 किलोमीटर पर और 1050 किलोग्राम भार के उपग्रहों को अंतरण कक्षा में प्रक्षेपित करने में सक्षम है.
प्रथम चरण मोटर के साथ छह स्ट्रेप-ऑन का समूह जुड़ा है, जिनमें से चार भूमि पर प्रज्वलित किए जाते हैं और दो हवा में प्रज्वलित किए जाते हैं। सितम्बर, 2012 तक पीएसएलवी की 21 निरंतर सफल उड़ानें रहीं। इसरो के प्रक्षेपण यान के रूप में पीएसएलवी की स्थिति लंबी रेस के घोड़े की जैसी है।
पीएसएलवी की उपलब्धियां
9 सितंबर, 2012: पीएसएलवी-सी21 ने स्पॉट-6 एवं प्रोइटेरस का प्रक्षेपण किया।
26 अप्रैल, 2012: पीएसएलवी-सी19 ने रिसैट-1 का प्रक्षेपण किया।
12 अक्टूबर, 2011: पीएसएलवी-सी18 ने मेघा-ट्रॉपिक्स, जुगुनू, एसआरएमसैट और वेसेलसैट-1 का प्रक्षेपण किया।
15 जुलाई, 2011: पीएसएलवी-सी17 ने जीसैट-12 का प्रक्षेपण किया।
20 अप्रैल, 2011: पीएसएलवी-सी16 ने रिसोर्ससैट-2, यूथसैट तथा एक्स-सैट का प्रक्षेपण किया।
12 जुलाई, 2010: पीएसएलवी-सी15 ने कार्टोसैट-2बी, एलसैट-2ए, एनएलएस 6.1 तथा 6.2 और स्टुडसैट प्रक्षेपितत किए।
23 सितंबर, 2009: पीएसएलवी-सी14 ने ओशनसैट-2 और छह नानो उपग्रह प्रक्षेपित किए।
20 अप्रैल, 2009: पीएसएलवी-सी12 ने रिसैट-2 और अनुसैट प्रक्षेपित किए।
22 अक्टूबर, 2008: पीएसएलवी-सी11 ने चंद्रायन-1 प्रक्षेपित किया।
28 अप्रैल, 2008: पीएसएलवी-सी9 ने कार्टोसैट-2ए, आईएमएस-1 तथा आठ नानो-उपग्रह प्रक्षेपित किये।
23 जनवरी, 2008: पीएसएलवी-सी10 ने टेकसार प्रक्षेपित किया।
23 अप्रैल, 2007: पीएसएलवी-सी8 ने एजाइल प्रक्षेपितत किया।
10 जनवरी, 2007: पीएसएलवी-सी7 ने कार्टोसैट-2, एसआरई-1, लापान-टबसैट और पिहुएनसैट-1 प्रक्षेपित किए।
5 मई, 2005: पीएसएलवी-सी6 ने कार्टोसैट-1 तथा हैमसैट प्रक्षेपित किए।
17 अक्तूबर, 2003: पीएसएलवी-सी5 ने रिसोर्ससैट-1 (आईआरएस-पी6) प्रक्षेपित किया।
12 सितंबर, 2002: पीएसएलवी-सी4 ने कल्पना-1 (मेटसैट) प्रक्षेपित किया।
22 अक्टूबर, 2001: पीएसएलवी-सी3 ने टीईएस प्रक्षेपित किया।
26 मई, 1999: पीएसएलवी-सी2 ने ओशनसैट (आईआरएस-पी4), किटसैट-3 और डीएलआर-टबसैट को प्रक्षेपित किया।
29 सितंबर, 1997: पीएसएलवी-सी1 ने आईआरएस-1डी प्रक्षेपित किया।
21 मार्च, 1996: पीएसएलवी-डी3 ने आईआरएस-पी3 प्रक्षेपित किया।
15 अक्तूबर, 1994: पीएसएलवी-डी2 ने आईआरएस-पी2 प्रक्षेपित किया।
20, सितंबर, 1993: पीएसएलवी-डी1 ने आईआरएस-1ई प्रक्षेपित किया, लेकिन यह प्रक्षेपण सफल नहीं हो पाया।