अब मुसलमानों ने चिंढ़ार मारा है कि मोदी सरकार बीफ के निर्यात पर पाबंदी लगाये. देश के अनेक मुस्लिम संगठनों की यह मांग आंदोलन का रूप लेने लगी है. इस मांग पर केंद्र सरकार ने चुप्पी साध रखी है.
शुक्रवार को दिल्ली में इत्तेहाद ए मिल्लत काउंससिल ने बीफ निर्यात पर पाबंदी लगाने के लिए एक विशाल सिम्पोजियम आयोजित किया. इस दौरान मांग की गयी कि गोहत्या बंद कराने के लिए घड़ियाली आंसू बहाने वाली सरकार दोमुही नीति पर चल रही है. एक तरफ वह गोहत्या के नाम पर मुसलमानों और दलितों की हत्या तक की जा रही है तो दूसरी तरफ मोदी सरकार के दो साल के कार्यकाल में बीफ निर्यात में प्रतिदिन इजाफा हो रहा है.
मिल्लत काउंसिल के तौकरी रजा खान ने कहा कि उन्होंने गृहमत्री को पत्र लिख कर कहा है कि गैरकानूनी बुच्चड़खानों को बंद किया जाये.
गौरतलब है कि देश से बीफ निर्यात करने वाली 80 प्रतिशत कम्पनियां गैर मुस्लिमों की है.
इस अवसर पर जफरुल इस्लाम खान ने देश की निर्यातक कम्पनियों की सूची जारी करते हुए कहा कि बीफ पर दोहरी सियासत नहीं चल सकती.
गौरतलब है कि केंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद भाजपा शासित अनेक प्रदेशों में गोमांस के कारोबार पर पाबंदी लगा दी गयी है.
पिछले दिनों गुजरात में मृत गाय की चमड़ी उतारने वाले चार दलित युवकों की बेरहमी से पिटाई की गयी. इससे पहले उत्तर प्रदेश के दादरी में मोहम्मद अखलाक की इस अफवाह में पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी कि उन्होंने अपने घर में गोमांस रखा था.
उधर फेसबुक पर दिलीप मंडल ने भी इस मांग का समर्थन कते हुए कहा कि संसद से 500 मीटर की दूरी से मुसलमानों ने एक आवाज लगाई है. मावलंकर हॉल में एक सम्मेलन में तमाम प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने मांग की है कि सरकार बीफ एक्सपोर्ट पर पाबंदी लगाए. बीफ के नाम पर पता नहीं क्या विदेश भेज रहे हैं और बदनाम मुसलमान और दलित हो रहे हैं. बीफ की सभी टॉप कंपनियां सवर्ण हिंदुओं की है. कंपनी का नाम अल कबीर रख लेंगे और मालिक कोई सब्बरवाल जी होंगे. तमिल ब्राह्मण इंदिरा नूई अमेरिका में बीफ बेच ही रही हैं.