राज्य में संचालित विकास योजनाओं की मॉनिटरिंग और प्रगति का अध्ययन करना अब आसान हो जाएगा। शुक्रवार को मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग सिस्टम पोर्टल लांच किया और कहा कि इससे एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं को सीधा लाभ मिल सकेगा। वेब पोर्टल के जरिए पेपरलेस मॉनिटरिंग और क्लीयरेंस सिस्टम शुरू किया गया, ताकि निवेशकों को कोई परेशानी नहीं हो।
नौकरशाहीडॉटइन डेस्क
इसमें केंद्र के पास लंबित राज्य की परियोजनाओं के संबंध में पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन सूचना दी जाएगी । ऑनलाइन ही संबंधित विभाग या मंत्रालय के समक्ष प्रोजेक्टों के लंबित रहने के कारणों या समस्याओं को रखा जाएगा । बैठक का एजेंडा भी ऑनलाइन तय होगा । इससे उद्यमियों को विशेष लाभ होगा । वे अपने प्रोजेक्ट की सूचना ऑनलाइन दे सकेंगे ।श्री सिंह ने बताया कि इसमें प्राइवेट, पब्लिक तथा पी0पी0पी0 मॉडल की 1000 रु0 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं को ऑनलाइन इस पोर्टल पर अपलोड करते हुए परियोजना के डिटेल्स सहित विभिन्न विभागों से क्लियरेन्स में अवरोधों की जानकारी दी जा सकती है, जिस पर कैबिनेट कमिटी आफ इवेस्टमेंट, कैबिनेट सेक्रेटेरियट, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया द्वारा ऑनलाइन मॉनिटरिंग किए जाते हुए टाइम फ्रेम में सभी सम्बद्ध विभागों से क्लियरेंस या नन क्लियरेंस की रिपोर्ट ऑनलाइन प्राप्त कर परियोजनाकर्ता को ऑनलाइन जानकारी दी जाती रहेगी।
इस मौके पर भारत सरकार के संयुक्त सचिव डा वीपी ज्वॉय ने भारत सरकार की इस महत्त्वाकांक्षी पहल के सन्दर्भ में विस्तार से प्रकाश डाला और बताया कि किसी भी परियोजना में यरेंस का सबसे बड़ा मुद्दा उद्योग, वन पर्यावरण, खान, भू-अर्जन, पथ निर्माण, भवन निर्माण तथा ऊर्जा विभाग से सन्दर्भित रहता है। अतः योजना एवं विकास विभाग जो परियोजनाओं के लिए नोडल के रूप में अधिकृत है, के साथ उपर्युक्त विभागों सहित विकासायुक्त, बिहार की अध्यक्षता में कई दौर की वार्ता तथा बैठकों के बाद आज इस पोर्टल की लॉचिंग मुख्य सचिव के हाथों हुई है, जो केन्द्र तथा राज्य के बेहतर समन्वयन से विकास की संभावनाओं के द्वार का संकेतक है। इस मौके पर पोर्टल की विस्तृत जानकारी डॉ सुभाष चन्द्र ने दी और बताया कि इस पोर्टल को लागू करने के पीछे उद्देश्य है कि परियोजना प्रारंभ करने में आने वाली दिक्कतों की पहचान कर यथासंभव उनका त्वरित समाधान किया जा सकेविकासात्मक विचारों को मूर्त रूप देने के लिए मसलों पर संपूर्ण दिमागी मशक्कतपूर्वक विमर्श का आयाम तय किया जा सके। विशिष्ट सूचनाएँ सहज प्राप्त की जा सकें, विभिन्न एमआईएस रिपोर्ट (वित्तीय तथा संक्षिप्त प्रतिवेदन) सहित जारी की जा सके।
इसकी विशेषताओं के सन्दर्भ में डा सुभाष चन्द्र ने बताया कि सभी परियोजनाएं सिंगल विंडो के तहत समाधान प्राप्त करेंगी, किसी भी इंटरनेटयुक्त पर्सनल कम्प्यूटर से लोग इस तक पहुँच सकते है। इसके आँकड़ों की विश्वसनीयता निस्सन्दिग्ध है, सभी वांछित रिपोर्टस स्क्रीन पर सुलभ होंगे तथा त्वरित कार्रवाई हेतु ऑटोमेटिकमेलर नोटिफिकेशन की सहूलियतें भी हैं। इस मौके पर प्रधान सचिव, खान-भूतत्व ने बिहार के उद्योगों के संदर्भ में केन्द्र से वांछित संस्तुति पर संयुक्त सचिव डॉ ज्वॉय का ध्यानाकृष्ट कराया। ऊर्जा सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि संगम-बिंदु समाधान कर पत्र निर्गत कर दिया गया है।पर्यावरण सचिव विवेक कुमार सिंह ने विभागीय पक्ष रखते हुए इस दिशा में कार्रवाई किए जाने की बात कही। विकासायुक्त एसके नेगी ने पोर्टल को यूजर फ्रेंडली किए जाने के सन्दर्भ में ट्रेनिंग की बात की। योजना एवं विकास विभाग के सचिव पंकज कुमार ने ट्रेनिंग में संबद्ध विभागों के नोडल आफिसर की सहभागिता सहित फिक्की के प्रतिनिधियों को भी शामिल किए जाने की बात की, जिसपर भारत सरकार के संयुक्त सचिव डॉ ज्वॉय ने अगस्त माह में ट्रेनिंग शेड्यूल संपन्न कराए जाने की बात कही।