पटना के राजनीतिक गलियारे में सीएम नीतीश कुमार के ‘मीडिया मैनेजर’ प्रशांत किशोर की बढ़ती सक्रियता से सभी अचंभित हैं। सीएम के शपथ ग्रहण के पूर्व कहा जा रहा था कि प्रशांत को मंत्री बनाया जाएगा और अब बताया जा रहा है कि उन्हें राज्यसभा भेजने का आश्वासन दिया गया है।
वीरेंद्र यादव
लेकिन प्रशांत की सीएम से बढ़ती नजदीकी से जदयू के कई दिग्गज परेशान हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद से प्रशांत किशोर की अचानक बढ़ी राजनीतिक सक्रियता के कई अर्थ भी गढ़े जा रहे हैं। छठ पूजा, शपथ ग्रहण समारोह से लेकर राजगीर के भ्रमण तक में नीतीश के साथ प्रशांत किशोर की उपस्थिति से प्रशासनिक महकमा भी हैरान है। राजगीर भ्रमण के दौरान सीएम के सचिव चंचल कुमार को भी प्रशांत किशोर के पीछे बैठने को विवश होना पड़ा। वरीय अधिकारियों से ज्यादा नजदीक प्रशांत किशोर दिखते हैं।
जदयू में बढ़ी परेशानी
जानकारी के अनुसार, प्रशांत किशोर ने चुनाव के दौरान जरूरत से अधिक बजट बढ़ा दिया था। इस खर्चे की भरपाई फिलहाल नीतीश कुमार के लिए करना मुश्किल है। जबकि प्रशांत किशोर पर उधार देने वालों का दबाव बढ़ रहा है। यही वजह है कि वे लगातार बिहार आ रहे हैं और नीतीश कुमार के प्रति अपनी आस्था जता रहे हैं। हालांकि इन बातों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। सूत्रों की मानें तो प्रशांत की बढ़ती सक्रियता से जदयू के वे राज्यसभा सदस्य ज्यादा परेशान हैं, जिनका टर्म अगले वर्ष मई-जून में समाप्त हो रहा है। प्रशांत की सक्रियता की वजह जो भी हो, लेकिन इतना तय है कि प्रशांत को लेकर बिहार का राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गरम है।