झारखंड उपचुनाव परिणाम पर वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेश्वर की टिप्पणी पढ़िये. वह बता रहे हैं कि घर-घर मोदी का जमाना लदता जा रहा है. बिहार की हार छोड़ भी दें तो एमपी और झारखंड उपचुनाव क संकेत यही हैं.
झारखंड की राह भी भाजपा से जुदा होती दिख रही है । लोहरदगा विधान सभा के लिए संपन्न उप चुनाव का नतीजा सामने है । कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने बड़े अंतर से जीत हासिल की है । भाजपा गठबंधन की आजसू उम्मीदवार नीरु शांति भगत को करारी हार मिली है । यह परिणाम तब सामने आया है,जब सभी कह रहे थे कि झारखंड विकास मोर्चा के प्रत्याशी बंधु तिर्की ने कांग्रेस का गणित गड़बड़ा दिया है ।
2014 के विधान सभा चुनाव में लोहरदगा सीट भाजपा गठबंधन ने जीती थी । कहने का आशय कि सहानुभूति वोट भी न मिला एनडीए को । दूसरी ओर,झारखंड मुक्ति मोर्चा ने तटस्थ रहकर कांग्रेस की मदद की ।
नतीजे के मायने
अब सवाल यह है कि इस नतीजे को कैसे देखें । लोहरदगा की जीत के लिए भाजपा-आजसू ने पूरी ताकत झोंक रखी थी । नरेन्द्र मोदी का नाम चुनाव मंडी में तेज बिक रहा था । मुख्य मंत्री रघुवर दास की तो प्रतिष्ठा ही फंसी थी । आजसू और सुदेश महतो के लिए अपना चुनाव था । इतने के बाद भी हार,आाखिर मतलब क्या है ? भाजपा की हार देश भर में नहीं थम रही । बिहार की करारी हार । तुरंत मध्य प्रदेश में झाबुआ की लोक सभा सीट हार गये । हालांकि,मध्य प्रदेश में विधान सभा उपचुनाव में जीत मिली । मध्य प्रदेश के नतीजे को बहुतो ने नरेन्द्र माेदी फेल और शिवराज सिंह चौहान पास के रुप में भी देखा था । गुजरात के निकाय चुनावों में भी शहरों को छोड़ जिलों-कस्बों में भाजपा ने बहुमत गंवा दी
झारखंड में कांग्रेस की जीत और एनडीए की हार के बाद यह तय होता दिख रहा है कि ‘हर घर मोदी’ का जादू ढ़लान पर है । वरना,भाजपा और गठबंधन दल के लिए तो ‘मोदी नाम केवलम्’ ही सब कुछ था । लगातार हार भाजपा के लिए महज आत्ममंथन का विषय नहीं,संकटपूर्ण भविष्य को भी इंगित करता दिख रहा है । साथ ही,झारखंड के मुख्य मंत्री रघुवर दास को भी समझ जाना चाहिए । लोहरदगा का परिणाम कह रहा है कि काम करिए मुख्य मंत्री जी,बातों का पुलाव वोटरों को पसंद नहीं । 2014 में तो झारखंड को देश का नंबर-1 प्रदेश बनाने के कसमे-वादे कर रहे थे भाजपा के सभी,अब क्या हो गया ? केन्द्र-राज्य में सरकार एक है,तो फिर आरोप-प्रत्यारोप का फार्मूला भी नहीं चलेगा ।
लोहरदगा का परिणाम
हां,लोहरदगा का उपचुनाव चारित्रिक भी है । अपराधी तत्वों से बहुत दूर होने का सबसे अधिक ढि़ढोरा भाजपा बजाती है । पर लोहरदगा में क्या हुआ ? 2014 में एनडीए के आजसू प्रत्याशी कमल किशोर भगत आज उपचुनाव के विजेता कांग्रेस उम्मीदवार सुदर्शन भगत को शिकस्त देकर जीते थे । बाद में,रांची के प्रख्यात चिकित्सक डा. के के सिंह के घर हमले के आपराधिक मामले में सजा के बाद विधायक कमल किशोर भगत की सदस्यता खत्म हुई । किंतु,उपचुनाव के लिए प्रत्याशी तय करने के वक्त एनडीए नेतृत्व सजायाफ्ता कमल किशोर भगत के प्रभाव से बाहर नहीं आया । अपना उम्मीदवार भगत की जल्दी में शादी करा पत्नी नीरु शांति भगत को बनाया । समझा गया कि सहानुभूति वोट मिल जाएगा । पर लोहरदगा के वोटरों ने सजायाफ्ता के परिवार को भी चुनाव में हरा दिया । यह बड़ा संदेशा है । सच से हट अपराध व अपराधी से दूर का जुमला लोहरदगा को पसंद नहीं आया है ।
आगे उप चुनाव की तिथि की घोषणा के बाद एनडीए की एक और अग्नि परीक्षा बिहार में होनी है,जहां मधुबनी के हरलाखी विधान सभा के रालोसपा विधायक बसंत कुशवाहा के निधन से खाली हुई सीट पर वोट होंगे । सो,अभी से तय करना शुरु करना होगा एनडीए नेतृत्व को ।
मूल लेख- sampoornakranti.wordpress.com