उच्चतम न्यायालय ने गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में श्री मनोहर पर्रिकर के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से आज इन्कार करते हुए विधानसभा में शक्ति परीक्षण के लिए 16 मार्च की तारीख निर्धारित की।
करीब पौने दो घंटे तक चली बहस पर विचार करने के बाद न्यायालय ने कहा कि वह शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगाने के पक्ष में नहीं है। शीर्ष अदालत ने याचिका का यह कहते हुए निपटारा कर दिया कि इस याचिका में उठाये गये सभी पहलुओं का एक मात्र जवाब है शक्ति परीक्षण, जिसके लिए गुरुवार (16 मार्च) के 11 बजे का समय निर्धारित किया जाता है।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने श्री सिंघवी से कई महत्वपूर्ण सवाल किये। न्यायमूर्ति केहर ने पूछा कि यदि कांग्रेस के पास बहुमत था तो उसने राज्यपाल के समक्ष जाकर इसका दावा क्यों पेश नहीं किया या राजभवन के बाहर धरना क्यों नहीं दिया?
न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में उन विधायकों की संख्या का भी जिक्र नहीं किया है, जो कांग्रेस के समर्थन में हैं। न्यायालय ने कहा कि यदि आपके (कांग्रेस के) पास बहुमत था तो आपने विधायकों के शपथ-पत्र क्यों नहीं साथ लाये, जिससे आपकी बहुमत साबित हो सके। इस पर श्री सिंघवी ने कहा, “कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत है और वह आज भी शक्ति परीक्षण में शामिल होने को तैयार है।” उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने पूर्वग्रह से ग्रसित होकर भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया है, जबकि कांग्रेस वहां सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इस पर न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना संख्या बल पर निर्भर करता है।