सीएम नीतीश कुमार की अगली रणनीति को लेकर उनके सहयोगी राजद या कांग्रेस असंमजस में हैं। राजद, कांग्रेस और जदयू तीनों सरकार चलाने के अलावा किसी भी मुद्दे पर एक मत नहीं हैं। संशय तीनों तरफ है.
वीरेंद्र यादव, बिहार ब्युरो प्रमुख
लेकिन नीतीश कुमार को लेकर मुख्य विपक्षी दल भाजपा में भी कम संशय नहीं है।
आज विधान परिषद की लॉबी में भी सीएम नीतीश कुमार के कदमों को लेकर चर्चा हो रही थी। लॉबी में बैठे भाजपा विधान पार्षद इस बात को लेकर चिंतित थे कि नीतीश आगे क्या करेंगे। एक सदस्य ने कहा कि नीतीश कुमार अमरबेल हैं। उन्हें जीवन के लिए पेड़ चाहिए। इसके लिए वह भाजपा से भी परहेज नहीं करेंगे। इस पर एक दूसरे सदस्य ने चिंता जतायी कि यदि ऐसा हुआ तो हम लोग जनता को क्या जवाब देंगे।
नीतीश को अमर बेल जैसे शब्द से परिभाषित करने का उन नेता का मकसद साफ है. उनका इशारा इस ओर है कि नीतीश कामयाबी की सीढ़ी चढ़ने के लिए किसी न किसी सहारे के फिराक में रहते हैं.
विधान पार्षदों की यह चिंता अनायास ही नहीं है। इसी चर्चा में एक सदस्य ने कहा कि अरुण जेटली के साथ नीतीश कुमार का ‘चाय पीना’ सिर्फ शिष्टाचार मुलाकात भर नहीं हो सकती है।
इसके भी अपने राजनीतिक अर्थ होंगे।
उधर नरेंद्र मोदी के प्रति नीतीश कुमार के तेवर भी ठंडे पड़ रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने कहा कि हमने नरेंद्र मोदी का भोज रद्द नहीं किया था। इसका दोष भी नीतीश ने भाजपा पर ही मढ़ दिया था। फिर पीएम नरेंद्र मोदी के प्रति सीएम नीतीश कुमार के संयमित बयान और विकास के लिए सहयोग की अपेक्षा, नयी संभावनाओं को जन्म दे रहा है। इन संभावनाओं का अंत नहीं है। लेकिन भाजपा विधान पार्षदों की आशंका व चिंता को एकदम सिरे से खारिज भी नहीं किया जा सकता है।