बिहार चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के बाद अब अमितशाह ने जहर घोला है. सवाल यह है कि क्या वह बिहार के बजाये इस्लामाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं कि उनकी पार्टी हारी तो पाकिस्तान में पटाखे फोड़े जायेंगे?
तबस्सुम फातिमा
गुजरात दंगों के आरोपी रहे अमित शाह के नापाक बयान की पूरे भारत में घोर निंदा होनी चाहये। क्या बिहार का चुनाव केवल चुनाव नहीं है ? क्या अमित शाह और मोदी को इस बात का विश्वास नहीं की सरकार 5 साल चलेगी ?
क्या वे यह मान कर चल रहे हैं , कि बिहार चुनाव में पराजय के बाद पार्टी के अंदर खाने इतनी बग़ावत शुरू हो जायेगी कि सरकार चलना दूभर हो जाएगा ? पहले प्रधान मंत्री मोदी ने साम्प्रदायिक बयान दिया। मोदी ने झूठ का पिटारा खोला कि मुसलमानों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने की साजिश लालू-नीतीश कर रहे हैं, मोदी की मुस्लिम दुश्मनी खुल कर सामने आई ,वहीँ इस बयां से वो प्रधान मंत्री पद की गरिमा को कलंकित कर गए।
यही हमारे प्रधान मंत्री हैं जिन्होंने विदेशों में यह बयान दिया था के उन्हें भारत में रहते हुए शर्म आती है। साहित्यकारों , रंग कर्मियों , संगीत प्रेमिओं , फिल्म कर्मिओं ,वैज्ञानिकों द्वाटार लगातार सम्मान और पुरस्कार वापसी की ख़बरों ने अमित शाह और प्रधान मंत्री के होश उड़ा दिए।
अब अमित शाह ने बिहार विरोधी और देश विरोधी बयान दे कर समूचे भारत की जनता का मज़ाक उड़ाया है। क्या मोदी शाह और अमित शाह बिहार नहीं , पाकिस्तान से चुनाव लड़ रहे हैं जो हार गए तो पाकिस्तान में पटाखे फोड़े जाएंगे ? बिहार की मानसिकता पाकिस्तानी है ?या समूचे भारत की ? पहले हिंदुस्तान पाकिस्तान क्रिकेट मैच को ले कर कहा गया ,के पाक जीता तो मुस्लिम घरों में पटाखे छूटेंगे। यह मानसिकता भी आरएसएस की थी। जो समय के साथ धराशायी हुई। अब बिहार चुनाव के बहाने बिहार और भारत की मानसिकता पर साम्प्रदायिक और देश द्रोही प्रहार कर अमित शाह ने घिनोनी राजनीति को आवाज़ दी है। समस्त भारत के नागरिकों की और से इसका घोर विरोध होना चाहये।
मोदी को भारत में रहते शर्म आती है
यही हमारे प्रधान मंत्री हैं जिन्होंने विदेशों में यह बयान दिया था के उन्हें भारत में रहते हुए शर्म आती है। साहित्यकारों , रंग कर्मियों , संगीत प्रेमिओं , फिल्म कर्मिओं ,वैज्ञानिकों द्वाटार लगातार सम्मान और पुरस्कार वापसी की ख़बरों ने अमित शाह और प्रधान मंत्री के होश उड़ा दिए। किसी ने बढ़ती साम्प्रदायिकता को एटम बम से अधिक खतरनाक बताया , किसी ने कहा , यह पार्टी रही तो देश में लोकतंत्र का सफाया हो जाएगा। मोदी और अमित शाह के ताज़ा बयान स्पष्ट करते हैं के लोकतंत्र की मर्यादा का पर्दा उठ चूका है। अब देश में साम्प्रदायिकता का नंगा, घिनौना और खुला खेल आरम्भ हो चूका है।
भले इसकी कीमत देश को चुकानी हो। देश को सोचना होगा की विकास के बहाने सरकार भारत को कहाँ ली जा रही है ? विदेशों में लगातार भारत में बढ़ती घोर हिंसा और साम्प्रदायिकता पर सवाल उठाये जा रहे हैं। फासीवादी सरकार आखें बंद किये , सभी मर्यादाएं लांघती अब भारतीयों का अपमान करने लगी है। मोदी के शब्दों में पूछती हूँ… …क्या आप अपमान सहेंगे ? क्या आप अपमान सहेंगे ? क्या आप अपमान सहेंगे ? क्या आप अपमान सहेंगे ? जवाब आपको देना है।
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