पंडित दीनदयाल उपाध्याय की रचनाओं और भाषणों का संकलन (संपूर्ण वांग्मय) की ‘मार्केटिंग’ करने पटना आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के भाषण में ‘गरीबों का दर्द’ दिखा। जन धन योजना, सब्सिडी छोड़ने वाली योजना और उज्ज्वला योजनाओं को गरीबों की जरूरतों के साथ जोड़ा। लेकिन उनके भाषण में ‘नोटबंदी का जोश’ ज्यादा दिखा।
वीरेंद्र यादव, बिहार ब्यूरो प्रमुख
भाषण के दौरान जब अमित शाह नोटबंदी की चर्चा कर रहे थे, तब उन्होंने अपनी गमछी पर विजय मुद्रा में हाथ फेरा, फिर दोनों हिस्सों को एक साथ जोड़ा। इस दौरान अमित शाह कम और गमछी ज्यादा बोल रही थी। जब नोटबंदी से हटने लगे तो फिर गमछी पर हाथ फेरा और दोनों हिस्सों को अलग-अलग किया। इसके बाद अपने संबोधन को अन्य विषय की ओर ले गए।
मंच से दूर भाजपा के बिहारी नेता
पुस्तक लोकार्पण मंच से प्रदेश भाजपा के सभी नेताओं को अलग रखा गया था। मंच पर अमित शाह के अलावा पुस्तक के संपादक महेश चंद्र शर्मा, प्रकाशक और दो अन्य लोग ही मौजूद थे। भाजपा के अन्य नेता दर्शक दीर्घा में मौजूद थे। भाजपा के सभी केंद्रीय मंत्री भी कार्यक्रम में शामिल थे। दर्शक दीर्घा की पहली पंक्ति में हर कुर्सी पर नाम चिपकाया हुआ था। भाजपा के बिहार प्रभारी व सांसद भूपेंद्र यादव और प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय साथ-साथ बैठे थे। भूपेंद्र यादव की दाईं ओर सुशील मोदी, मंगल पांडेय और नंदकिशोर यादव बैठे हुए थे। नित्यानंद की बायीं ओर विधान सभा में विपक्ष के नेता प्रेम कुमार बैठे हुए थे। सभी केंद्रीय मंत्री पहली पंक्ति में ही अलग-अलग जगहों पर बैठे हुए थे।
नित्यानंद का पहला शक्ति परीक्षण
पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित लोकार्पण समारोह में दर्शकों का मजमा लगा हुआ था। नित्यांनद राय के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भाजपा का यह पहला बड़ा कार्यक्रम था। इस कारण इस कार्यक्रम को नित्यानंद राय की शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी आंका जा रहा था। गांधी मैदान महंगी गाडि़यों से पटा हुआ था। इसके अलावा एसकेएम हॉल के आसपास भी बड़ी संख्या में गाडियां पार्क की गयी थीं। हॉल के बाहर भी दर्शक स्क्रीन पर भाषण सुनने में जुटे थे। आधिकारिक रूप से यह भाजपा का कार्यक्रम नहीं था, लेकिन पूरा कार्यक्रम भाजपा को केंद्र में रखकर प्लान किया गया था। कार्यक्रम के दौरान यह स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुआ।