एक तरफ भाजपा ने बिहार में ‘185 पल्स’ के टारगेट के तहत अकेले चुनाव लड़ने का संकेत दिया तो दूसरे ही पल रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा ने एनडी की संभावना पर प्रश्न खड़ा करके खलबली मचा दी है.
विनायक विजेता व नौकरशाही डेस्क
भाजपा के राष्ट्रीय अघ्यक्ष अमित शाह द्वारा रविवार को दिल्ली में बुलायी गई पार्टी की बिहार प्रदेश कोर ग्रुप की बैठक में बिहार विधान सभा के होने वाले चुनाव में ‘185 प्लस’ का लक्ष्य वाले फैसले ने बिहार में भाजपा गठबंधन के दो सहयोगी दलों की चिंता बढ़ा दी है।
रालोसपा भाजपा सरकार में सहयोगी है और पार्टी नेता उपेंद्र कुशवाहा केंद्रीय मंत्री हैं. उन्होंने एजेंसी को दिये अपने बयान में कहा है कि धर्मांतरण और साम्प्रदायिकता के मुद्दे पर एक तरह भारतीय जनता पार्टी को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर पार्टी विवादस्पद मुद्दे नहीं उठाती तो भाजपा को कश्मीर घाटी में कुछ सीटें मिल जातीं. उन्होंने कहा कि लोग विकास के अजेंडे को आगे बढ़ाना देखना चाहते हैं.
कुशवाहा का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि उनकी पार्टी यह जताना चाहती है कि उसे बिहार में होने वाले चुनाव में ज्यादा सीटों पर कंडिडेटस खड़े करने दिये जायें.
गौरतलब है कि बिहार में भाजपा का लोजपा और रालोसपा के साथ गठबंधन है। लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने पूर्व में लोजपा को अस्सी सीट और रालोसपा ने 45 सीट पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी पर अमित शाह के नए फरमान और बयान ने दोनों सहयोगी दलों के नेताओं की चिंता बढ़ा दी है।
अमित शाह के बयान से यह साफ जाहिर है कि भाजपा बिहार कुल 243 सीटों में से 185 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी और शेष 58 सीटें वह अपने सहयोगी दल लोजपा और रालोसपा के लिए छोड़ेगी। अगर इस के वावजूद सीटों की संख्या के मामले में कोई विवाद होता है तो भाजपा अपने दोनों सहयोगी दलों को अंगुठा दिखा झारखंड के तर्ज पर अकेले दम पर भी चुनाव लड़ सकती है।
अमित शह के ताजा बयान और फरमान के बाद भाजपा के सहयोगी दल लोजपा और रालोसपा में गंभीर मंथन का दौर शुरु हो गया है। अबतक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि अगर भाजपा खुद 185 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करेगा तो शेष बचे 58 सीटों में से लोजपा और रालोसपा को कितनी-कितनी सीटें मिलेंगी।
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