मान्यता यह है कि आप सब कुछ बदल सकतें हैं, परन्तु अपना अतीत नहीं बदल सकतें हैं। एक बार फिर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगा 2002 को लेकर अतीत का प्रेत फिर से चर्चा में आ गया है। अब मोदी का स्वागत में मिस अमेरिका नीना मिस दावुलुरी के साथ-साथ मानवाधिकार के दिशा में कार्यरत अमरीकी संस्था अमेरिकन सेंटर फ़ॉर जस्टिस की अपील पर जारी की गई समन भी कर रही है। अब देखना यह है की इसमें मोदी की यात्रा पर कोई प्रभाव तो नहीं पड़ने वाला है। सनद रहे की मोदी अभी अमेरिका के दौरा पर हैं, जहां वह संयुक्तराष्ट्र के महासभा में भाग लेने गए हैं।
मुकेश कुमार
अमरीका में न्यूयॉर्क की एक संघीय अदालत ने 25 सितम्बर, 2014 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री के नाम से इनके ख़िलाफ 2002 के गुजरात दंगों के सिलसिले में समन जारी किया है। यह मुक़दमा अमरीकी संस्था अमेरिकन सेंटर फ़ॉर जस्टिस (एजीसी) ने दायर किया था। यह दंगा जिस समय हुआ, उस समय उस राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे। इन दंगों में सबसे ज्यादा क्षति एक खास धर्म के लोग ही थे। इस संस्था का मानना है कि उस समय के अपने राज्य के मुखिया के हैसियत से अपने नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा करने में असफल रहने के कारण जारी किया गया।
अमरीकी संस्था अमेरिकन सेंटर फ़ॉर जस्टिस के निदेशक डॉक्टर ब्रैडली ने इसे ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन के ख़िलाफ़ एक साफ़ संदेश’ बताया है। अमेरिकी अदालतों द्वारा यह किया गया पहला मामला नहीं है। इससे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ भी मानवाधिकार संस्था की याचिका पर समन जारी किया गया था।