-मोदी ने लोकतंत्र का सॉफ्टवेयर किया कमजोर, अमेरिका में चिंता
-अमेरिकी पत्रिका ने कहा, मोदी दुनिया के लिसमस्या बने

अमेरिका की सबसे पुरानी पत्रिकाओं में एक तथा विचार और विश्लेषणों के लिए प्रसिद्ध द एटलांटिक ने कहा कि भारत में कमजोर होता लोकतंत्र दुनिया की चिंता बना।


कुमार अनिल


चार महीना पहले ग्लोबल डेमोक्रेसी इंडेक्स में भारतीय लोकतंत्र नीचे गिर कर 167 देशों में 53 वें स्थान पर पहुंच गया था। 2014 में भारत 27 वें स्थान पर था। केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद लोकतंत्र के पैमाने पर भारत लगातार कमजोर होता गया। अब अमेरिकी पत्रिका ने इंडियाज डेमोक्रेसी इज द वर्ल्ड्स प्रोब्लम ( भारत का लोकतंत्र दुनिया की चिंता बना) शीर्षक आलेख में मोदी सरकार की दिशा को विश्व-लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय बताया है।


द एटलांटिक में जोनाह ब्लैंक ने लिखा है कि भारत में लोकतंत्र का भविष्य पूरी दुनिया के लोकतांत्रिक भविष्य को निर्धारित करेगा। वर्तमान अच्छा नहीं है। यह पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी है। ब्लैंक अमेरिकी लेखक और पत्रकार हैं तथा भारतीय उपमहाद्वीप मामलों के विशेषज्ञ हैं।


जोनाह ब्लैंक लिखते हैं कि चीन लोकतंत्र को पश्चिमी विचार कहकर खारिज करता रहा है। यह सच है कि दुनिया के सफल लोकतंत्र पशिचमी संपन्न देश ही हैं। लेकिन इनमें अधिकतर बुहत छोटे और सजातीय (एकरूपी) हैं। एक ही बोली, एक ही धर्म है। आबादी बहुत कम है। सर्वाधिक आबादी वाले दस देशों में सिर्फ अमेरिका और भारत ही हैं, जहां लोकतंत्र लंबे समय से है। एक आदर्श शासन प्रणाली के बतौर लोकतंत्र की श्रेष्ठता भारत में इसकी सफलता पर ही निर्भर है, जहां अनेक भाषा, अनेक धर्म और विविधता के तमाम रूप मौजूद हैं। अगर भारत में लोकतंत्र सफल होता है, तो दुनिया में सफल होगा, यहां विफल होगा, तो दुनिया में संकट बढ़ेगा।


जोनाह लिखते हैं कि लोकतंत्र के लिए भारत का इतना महत्व है, पर वहां चिंताजनक हालात हैं। भारत की स्थिति अमेरिका के लिए भी चिंताजनक है। सबसे बड़ी चिंता भारत में लोकतंत्र की आत्मा कि हर नागरिक समान है, पर चोट से है। शासक दल भाजपा हिंदुत्व की राजनीति को आगे बढ़ा रही है। हिंदुत्व का अर्थ है सर्वाधिक आबादी वाले हिंदुओं की धार्मिक अल्पसंख्यकों पर वरीयता। इसके निशाने पर मुसलमान हैं। भारत जो संविधान के मुताबिक सेकुलर डेमोक्रेसी है, अगर हिंदू राष्ट्र बन जाता है, तो 27 करोड़ 60 लाख गैर हिंदू सेकेंड क्लास सिटिजन बन जाएंगे। दोयम दर्जे के नागरिक।


जब से भाजपा सत्ता में आई है, देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़े हैं। वाजपेयी ने हिंदुत्व को केंद्र में नहीं आने दिया, पर मोदी ने अपने सासन के केंद्र में इसे ला दिया है।
मोदी ने भारतीय लोकतंत्र के हार्डवेयर (चुनाव प्रणाली) पर अपना अनुदार रवैया नहीं थोपा, पर सॉफ्टवेयर ( गैरराजनीतिक न्याय व्यवस्था, स्वतंत्र प्रेस और अन्य संस्थाएं) को कमजोर किया है। ये सॉफ्टवेयर ही लोकतंत्र की रक्त-धमनियां हैं।


जोनाह ने उत्तर प्रदेश में गाय के नाम पर मुस्लिमों पर हमले के कई उदाहरण दिए हैं। हमलावरों के पक्ष में भाजपा खुलकर आई। पीड़ित तबका कोर्ट के चक्कर लगाता रहा।
अब सरकार ट्विटर, फेसबुक पर अंकुश लगा रही है। पत्रकार खुलकर नहीं लिख सकते। मोदी सरकार इन संस्थाओं को कमजोर करके लोकतंत्र को कमजोर कर रही है। हालांकि भाजपा को कभी बहुमत मतदाताओं का समर्थन नहीं मिला। 2019 में उसे केवल 37.4 प्रतिशत वोट मिले। जोनाह ने स्कालर ज्ञान प्रकाश को उद्धृत किया है- मोदी उस प्रोजेक्ट के हिस्सा हैं, जिसके तहत देश की संस्थाओं पर प्रभाव जमाते हुए भारत की लोकतांत्रिक और बहुलवादी राजनीति व संस्कृति को बदल दिया जाए।

By Editor


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