सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में लागू करना संविधान का उल्लंघन है.
सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मंगलवार को दिए फैसले में कहा कि आरटीई कानून को अल्पसंख्यक स्कूलों में लागू नहीं किया जा सकता.
मालूम हो कि आरटीई यानी शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत छह से चौदह वर्ष के बच्चों को अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा देने का प्रावधान है.
हालांकि, कोर्ट ने कहा है कि अल्पसंख्यक संस्थानों के अलावा बाकी सभी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों पर यह कानून लागू होगा.
यह फैसला मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनाए हैं.
संविधान पीठ ने आरटीई कानून को चुनौती देने वाली अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों की याचिकाएं स्वीकार करते हुए 2012 में दिए तीन न्यायाधीशों का फैसला खारिज कर दिया. इस फैसले में कहा गया था कि सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों पर आरटीई कानून लागू होगा और उन्हें भी गरीब तबके के 25 फीसद बच्चों को प्रवेश देना होगा.
मंगलवार को संविधान पीठ ने फैसले को खारिज करते हुए कहा कि अल्पसंख्यक संस्थानों पर यह कानून लागू करने से संविधान के अनुच्छेद 30(1) का उल्लंघन होगा, जिसमें उन्हें विशेष दर्जा दिया गया है.