पहले प्रताड़ना की हदें पार कर दीं, फिर धोखा व फरेब किया और फिर आंखों की रौशनी भी छीनी और घर से बेदखल भी किया.अब नसीर कुनबे के साथ भीख मांगने को बेबस हैं.

बघर नसीर: कल चमन था आज इक सहरा हुआ
बघर नसीर: कल चमन था आज इक सहरा हुआ

महफूजुर रशीद,बेगूसराय

तेजाब से जला चेहरा और आंखों की रौशनी खो चुका चुका एक शख्स इंसाफ के लिए बिहार के बेगूसराय वर्षों भटक रहा है.

भगवानपुर थाना क्षेत्र के जोकिया दुसहा गांव के मो. नसीर और उसनके परिवार की दास्तान कथित सुशासन की सच्चाई बयां कर रही है. 15 बर्ष पहले शुरू हुई खून- खराबे की इस दास्तान मे दंबगों और रिश्तेदारो ने पहले अंधा बनाकर जमीन से बेदखल किया और बाद मे धर से भी बेघर कर दिया.

फिलहाल नसीर परिवार के साथ अपनी जान की सुरक्षा और आशियाने के लिए दर दर की ठोकर खाते फिर रहे हैं.
कभी अच्छी कमाई करने वाला नसीर आज भीख मांग कर अपने और अपने परिवार का भरण पोषण कर रह हैं. ऐसी नौबत तब है जबकि नसीर कहने को कई कठठे जमीन और एक धर के मालिक भी है आठ बच्चों के पिता नसीर कभी तेधडा प्लेटफार्म के समीप तो कही अन्यत्र रात गुजारने को विवश है.

जमीन की खातिर

जमीन के चंद टुकडे के लिए परिवार और गांव के दंबगो ने जो कुछ किया वो रोंगटे खडे करने वाला है .बर्ष 1999 मे शुरू हुए इस खूनी संधर्ष में पहले नसीर को तेजाब डाल कर मारने की कोशिश की गई .इस धटना मे नसीर तो बच गये पर उनकी दोनों आंखे सदा के लिए चली गई. इस धटना के बाद नसीर ने हिमम्त नही हारी और न्याय के लिए लंबी लडाई के बाद सात लोगों को सजा भी दिला कर दम लिया. वक्त का पहिला चलता रहा और नसीर पर प्रताडना का दौर भी .

इसी बीच जेल मे बंद रिश्तेदारों और अन्य लोग जेल से बाहर आते गए और फिर नसीर और उनके परिवार के लोगों के साथ मारपीट और जानलेवा हमला कर गांव से भगा दिया गया. तत्कालीन पुलिस पदाधिकारीयं ने मामले की गंभीरता को देखते हुए नसीर को सुरक्षा ही नही प्रदान किया बल्कि आरोपियों के खिलाफ मामला भी दर्ज कर कारवाई भी की जाने लगी. ढाई कठठे की जमीन पर दंबगो के साथ मिलकर रिश्तेदारो का कब्जा बाद मे नसीर के उस जमीन तक पहुंच गई जो पीड़ित और उनके परिवार का आशियाना था.

एक कठठा छह धुर की इस जमीन पर नसीर का अधूरा बना इंदिरा आवास भी है जो अब दंबग भाइयों के कब्जे मे है. 2011 मे एक बार फिर हमला और बाद धर मे वापस रहने देने की शर्त पर दोनो पक्षों मे सहमति बनी और मामला को उठा लिया गया. केस के उठाने के कुछ दिन बाद ही एक बार फिर से जुल्म और सितम का जो सिलसिला चला वो आज तक नही रूक पाया है .

इस संबध मे पीड़ित ने स्थानीय अधिकारियों के अलावा मानवाधिकार आयोग, अल्पसंख्यक आयोग सहित मुख्यमंत्री के जनता दरबार तक का चक्कर लगाया पर आज भी न्याय कोसों दूर है.
इस संबध मे पहले भी कई बार मीडिया ने इस मामले को उठाया था फिर भी इससे अधिकारियो की संवेदना नहीं जगी. जबकि पीड़ित के दबंग रिश्तेदार उस घर पर अबतक कब्जा जमाये हुए है.पीड़ित को अपने और अपने परिवार को जान का भी डर सता रहा है.
नसीर अपने बच्चों को सीने से लगाते हुए रोने लगते हैं. और कहते हैं. अल्लाह तुझसे ही इंसाफ की उम्मीद करते हैं और तुमपर ही भरोसा करते हैं.
वहीं बेगूसराय की एसपी ने इस मामले को गंभीरता से लेने का वादा करते हुए पीडित को न्याय का भरोसा दिलाया है. एसपी का मानना है कि उन्हे पूर्व में इस बात की कोई जानकारी नहीं थी.
अब जबकि मामला सामने आया है उन्होने तेघड़ा के डीएसपी को खुद से इस मामले पर पहल कर न्याय दिलाने का आदेश दिया है . अब देखना यह है कि खूनी संधर्ष की इस कहानी में कानून का राज चलता है या फिर दंबगों का.

By Editor


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