पटना जिले के दीघा स्थित बिहार राज्य आवास बोर्ड की जमीन का विवाद अभी समाप्त भी नहीं हुआ था कि राज्य सरकार ने इस जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर रहे लोगों के समक्ष घुटने टेक दिए और अब कब्जे को वैध मान लिया जाएगा। कब्जाधारियों को कानूनी हक भी प्रदान किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि बिहार राज्य आवास बोर्ड द्वारा अधिगृहित जमीन पर विवाद 1972 से चला आ रहा है और कई बार वहां मारपीट व धरना प्रदर्शन की भी नौबत आयी।
बना कानून
इस बीच सरकार ने कल दीघा के 680 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे को नियमित करने का फैसला लिया । इस अवैध कब्जे को नियमित करने के लिए सरकार कब्जाधारियों को कानूनी हक देगी । राज्य मंत्रिपरिषद ने दीघा अर्जित भूमि बंदोबस्ती नियमावली 2014 तथा दीघा अर्जित भूमि बंदोबस्ती स्कीम 2014 के अनुमोदन तथा प्राधिकार के गठन की स्वीकृति दे दी है। कैबिनेट के इस निर्णय के अनुसार दीघा की जमीन पर मकान बनाकर रहने वाले लोग तय समयावधि में सरकारी दर की 25 से लेकर 100 प्रतिशत तक की राशि जमा कर उसके मालिक बन सकते हैं। इस निर्णय से दीघा के लगभग पांच लाख लोग लाभान्वित होंगे। नियमावली के अनुसार, सरकार द्वारा तय बंदोबस्ती शुल्क का भुगतान कब्जाधारियों को करना होगा। पूर्व में जिन लोगों ने मुआवजा नहीं लिया, उन्हें मुआवजा मिलेगा मुआवजा । साथ ही जो जमीन सरेंडर करना चाहेंगे,उन्हें भी सरकार अनुग्रह राशि देगी। राशि का भुगतान डिमांड जारी होने के तीस दिन के भीतर करना होगा । वरना फाइन देनी होगी । फाइन के लिए भी सरकार ने तय रखा है समय । नगर विकास विभाग के इस प्रस्ताव पर कैबिनेट ने लगा दी मुहर ।
बनेगा प्राधिकार
जमीन संबंधी विवादों के निपटारे के लिए हाउसिंग बोर्ड के प्रबंध महानिदेशक की अध्यक्षता में एक प्राधिकार का गठन होगा। इसमें दो सदस्य सचिव भी होंगे। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार 680 एकड़ जमीन पर बने मकानों एवं खाली जमीन के मालिकों से बंदोबस्ती शुल्क लेकर उन्हें जमीन हस्तांतरित की जायेगी। दीघा के वैसे लोग जो जमीन के दखल व कब्जे का सबूत पेश करेंगे, जमीन उन्हें ही मिलेगी। पहले लोगों से पैसे लेकर जमीन पर कब्जा दिलाया जायेगा। जमीन का सेटलमेंट रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा निर्धारित दर के अनुसार होगा। दो कट्ठे या उससे कम जमीन वालों को सरकारी दर की 25 प्रतिशत तथा दो कट्ठे से ज्यादा जमीन वालों को सरकारी दर की 50 प्रतिशत राशि जमा करनी होगी। दीघा में मुख्य सड़क के किनारे वाले आवासीय प्लॉट के मालिकों को जमीन की सरकारी दर की 75 प्रतिशत तथा व्यावसायिक उपयोग वाले प्लॉटों के मालिकों को सरकारी दर की शत-प्रतिशत राशि जमा करनी होगी।