एक नेपाली अखबार का कहना है कि भारत-पाक तनावपूर्ण संबंधों के कारण सार्क सम्मेलन नाकाम साबित हो सकता है.
अखबार का कहना है कि विवाद की जड़ वे प्रस्तावित वे तीन एग्रीमेंट हैं जिसके बारे में पाकिस्तान का कहना है कि इससे क्षेत्रीय विकास पर नाकारात्मक असर पड़ेगा.
अखबार कांतिपुर ने गुरुवार को वेबसाइट पर पोस्ट किये अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि दोनों देशों के आपसी रवैए के कारण मोटर वेकिल, रेल सम्पर्क और ऊर्जा संबंधी एग्रीमेंट की सफलता संदेह के घेरे में है. संभव है कि इन मुद्दों पर गुरुवार को दुलीखेल में चर्चा हो है. नेपाल के विदेश मंत्री कागनात अधिकारी ने कहा है कि इन तीन संधियों पर पाकिस्तान ने आपत्ति दर्ज की है. उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश है कि कमसे कम ऊर्जा संबंधी संधि कामयाब हो सके.
पाकिस्तान की आपत्तियों के बाद इस मामले को लेकर होने वाली विदेश मंत्रियों की बैठक को टाल दिया गया. हालांकि इस मामले में कई दौर की बैठकें हुईं.
अखबार का कहना है कि रेल सम्पर्क की संधि काफी महत्वपूर्ण है इससे सार्क देशों में आवगमन के अलावा सामाजिक और सांस्कृतिक आदान प्रदान को बढ़ावा मिलेगा. इसी प्रकार ऊर्ज से संबंधित एग्रीमेंट, जिसका प्रसातव नेपाल ने रखा है वह भी काफी महत्वपूर्ण है. इससे सार्क देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलेगा.
नेपाली विदेश मंत्री का कहना है कि ऊर्ज से जुड़ा एग्रीमेंट में ज्यादा परेशानी नहीं है लेकिन भारत और पाकिस्तान के आपसी समस्याओं के कारण इस पर भी ग्रहण लग सकता है क्योंकि जबतक सभी सार्क देश इस पर सहमत न हों तब तक ये एग्रमेंट कामयाब नहीं हो सकते.
दूसरी तरफ ‘नागरिक’ अखबार के अनुसार मोदी ने नेपाल के आंतरिक मामले में बोलकर एक ‘नई कूटनीति’ की शुरुआत की है। पिछली बार मोदी जब नेपाल यात्रा पर आए थे, तो उन्होंने भारत के नेपाल के प्रति बड़े भाई के व्यवहार को तिलांजलि दी थी, लेकिन इस बार के दौरे पर शायद उनके ऊपर बहुत ज्यादा दबाव है, जिसके कारण वह ‘बिग ब्रदर’ की भूमिका में लौट आए।
‘कांतिपुर’ अखबार का कहना है कि नरेंद्र मोदी ने कूटनीति की लक्ष्मण रेखा पार कर दी। यह नेपाल के आंतरिक राजनीतिक मामले में हस्तक्षेप है और इसके लिए नेपाल के राजनीतिक दल जिम्मेदार हैं, क्योंकि उनकी अक्षमता के कारण बाहरी शक्तियों को बोलने का मौका मिल रहा है।