बिहार विधान सभा का ओबरा निर्वाचन क्षेत्र टुअर हो गया है। 243 सदस्यीय विधान सभा में अभी ओबरा का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। रिक्त पड़ा है ओबरा। 2010 के चुनाव में निर्वाचित विधायक सोम प्रकाश सिंह के निर्वाचन को पटना उच्चत न्यायालय ने रद्द कर दिया है। इसीआलोक में विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने इस सीट को रिक्त घोषित कर दिया है। पटना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ विधायक ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय आने तक ओबरा के लिए उपचुनाव कराने पर रोक लगा दी है। यदि फैसला सोमप्रकाश सिंह के पक्ष में आया तो संभव है, उनका निर्वाचन को वैध करार करते हुए उन्हें विधायक बना दिया जाए, अन्यथा उपचुनाव कराने का निर्देश दिया जा सकता है। यह भी संभव है कि सुनवाई पूरी होते-होते विधान सभा की अवधि ही समाप्ता हो जाए।
2010 का परिणाम
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पिछले विधान सभा चुनाव में यहां से निर्दलीय विधायक के रूप में सोमप्रकाश सिंह ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने जदयू के प्रमोद चंद्रवंशी को 802 मतों से पराजित किया था।
राजनीतिक बनावट
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ओबरा में ओबरा और दाउदनगर प्रखंड की सभी पंचायतें शामिल हैं। ओबरा प्रखंड में 20 और दाउदनगर प्रखंड में 15 पंचायतें शामिल हैं। इसमें ओबरा की तेजपुरा, डिहरा, कंचनपुर, डिहरी, उब, भरूब, चंदा, गैनी, खुदवां, मलवां, रतनपुर, महुआंव, बभनडीहा, कारा, अमिलौना, सरसौली, ओबरा, सोनहुली, करसांव व बेल पंचायत तथा दाउदनगर प्रखंड की शमशेरनगर, अरई, चौरी, कनाप, गोरडिहां, संसा, महावर, अकोढ़ा, तरारी, अंछा, बेलवां, करमा, तरार, मनार व सिंदुआर पंचायत शामिल हैं।
राजनीतिक पृष्ठ भूमि
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ओबरा की राजनीतिक पृष्ठभूमि मूलत: समाजवादी रही है। यहां से 1952 में पहली बार सोशलिस्ट पार्टी के पदारथ सिंह निर्वाचित हुए थे। बाद में कांग्रेस के नेता भी जीते। रामविलास सिंह इस क्षेत्र का कई बार प्रतिनिधित्व कर चुके थे। उन्हें कई बार सरकार में शामिल होने का मौका भी मिला था। यहां से भाजपा के वीरेंद्र प्रसाद सिंह और माले के राजाराम सिंह निर्वाचित हुए हैं।
महत्वपूर्ण स्थान
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पटना के सचिवालय पर झंडा फहराने दौरान सात शहीदों में एक जगपति कुमार ओबरा प्रखंड के खरांटी गांव के रहने वाले थे। ओबरा का कालीन उद्योग काफी विकसित रहा है। ओबरा से लगे मनौरा में भगवान बुद्ध की प्रतिमा भी विख्यात है। दाउद खां का किला दाउदनगर में है। शमशेर नगर में शमशेर खां का मकबरा व कब्र है।
चुनाव की प्रत्याशा में
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अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव (यदि उपचुनाव नहीं होता है ) की तैयारी में कई प्रत्याशी अभी से जुट गए हैं। राजद के पूर्व विधायक सत्य नारायण सिंह भाजपा में शामिल हो गए हैं। वह भी भाजपा के प्रमुख दावेदार हैं। इसके अलावा भाजपा के वरीय नेता सुधीर शर्मा भी उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल हैं। राजद के टिकट के लिए पूर्व मुखिया राधेश्याम सिंह, पूर्व मंत्री रामविलास सिंह के पुत्र उमेश सिंह, रामदेव सिहं के नाम की चर्चा है। जदयू के प्रमोद चंद्रवंशी के लिए इस बार टिकट सुरक्षित नहीं माना जा रहा है। क्योंकि राजद से समझौते के तहत यह सीट राजद को मिल सकती है। विचाराधीन विधायक सोमप्रकाश सिंह और माले के राजाराम सिंह की उम्मीदवारी भी तय मानी जा रही है।