25 वर्षीय बेनो जेफिन के सपने का सच हो जाना आसान नहीं था. सौ फीसीदी दृष्टिदोष से प्रभावित व्यक्ति के लिए नियमों में बदला कर सरकार ने बेनो की योग्यता को स्वीकार किया है.
एक रेलवे अफसर की बेटी बेनो जेफिन आज भारतीय विदेश सेवा की अफसर बन चुकी हैं.
बेनो ने 2013-14 की सिविल सेवा परीक्षा में 343वां रैंक प्राप्त किया था. भारतीय विदेश सेवा में अब तक सौ फीसदी दृष्टि दोष वाली किसी भी पहली महिला को जगह मिली है.
विदेश सेवा में जगह बनाने से पहले सरकार ने नियमों में बदलाव किया. इसलिए उन्हें कुछ दिन इंतजार करना पड़ा क्योंकि मौजूदा नियम इस अब बात की अनुमति नहीं देते थे कि 100 प्रतिशत ब्लाइंडनेस के शिकार व्यक्ति को यह जिम्मेदारी सौंपी जाये.
सिविल सेवा परीक्षा में बेनो की पहली पसंद भारतीय विदेश सेवा थी. जब 12 जून को अवर सचिव स्तर के एक अफसर का उनके पास फोन आया तो वह खुशियों से झूम उठीं. बेनो ने इंग्लिश में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. इससे पहले बेनो एसबीआई में प्रोबेशनरी आफिसर के बतौर काम कर रही थीं.
बेनो ने अपनी मां के लिए सबसे पहले एक सोने की चेन खरीदी थी, जब वह पहली बार एसबीआई ज्वाइन करने के बाद तन्ख्वाह उठाई थीं. उनकी मां कहती हैं बेनो का शाब्दिक अर्थ ही होता है छुपा हुआ खजाना. बेनो के मां-बाप उसके सपने के सच होने से आज बहुत खुश हैं.