पटना के अम्हरा गांव के निकट आईआईटी की इमारत बनाने के लिए सैकड़ों एकड़ जमीन अधिगृहित की गयी है पर अभी तक किसानों को मुआवजा नहीं मिला है. लोग अनशन पर हैं. मेधा पाटकर ने अनशनकारियों का समर्थन किया है और इस संबंध में पटना के जिला मजिस्ट्रेट को पत्र लिखा है.पेश है पत्र का सम्पादित अंश.
जिला मजिस्ट्रेट, पटना
मैं यह पत्र में ग्राम अम्हरा जिला पटना में पिछले 12 दिनों से चल रहे अनशनकर्ता और उनके द्वारा उठाये हुए पुनर्वास संबंधी मुद्दों पर लिख रही हूं.
आप जानते ही होंगे कि किसानों का विस्थापन उसके बाद मजदूर कारिगरों का विस्थापन देश में एक महत्वपूर्ण समस्या बन गया है. अमहरा की जमीन का 2007 में हुआ अर्जन और इतने सालों बाद उस जमीन का दाम दोगुना- चौगुना होते हुए किसानों को भूमिहीन और बर्बाद को हकर रहना स्वाभाविक मंजूर नहीं.
मुझे मिली जानकारी के अनुसार जमीन का पुराना रेट भी नहीं मिला है. और अधिक रेट का वादा मात्र किया गया है. जीने के अधिकार के लिए वैक्लपपिक जमीन के सिवा किसानों का हित नहीं हो सकता.इसलिए नयी व्यवस्था के तहत किसानों को मुआवाजा प्राप्त हो, ऐसी ही भरपाई शासन का कर्तव्य है.
आप कृप्या 12 दिनों से अनशन पर बैठे हुए लोगों से आईआईटी जैसे सार्वजनिक हित के कार्य के लिए स्वेच्छा से जमीन ले पाने की दृष्टि से तत्काल संवाद करें, न कि बल प्रयोग. यही आपसे अपेक्षा और आग्रह है.
आप इस पत्र की भावना को समझें और उचित फैसला लें
इसी विश्वास के साथ
मेधा पाटकर
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