केंद्र सरकार ने कोचिंग को निरुत्साहित करने के लिए आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा में कई बड़े बदलाव किए हैं, जो 2017 के बाद लागू होंगे। आईआईटी काउंसिल द्वारा प्रो. अशोक मिश्रा की अध्यक्षता में गठित समिति ने आज अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी, जिसमें आईआईटी की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के संबंध में कई सिफारिशें की गयी हैं।
प्रो. अशोक मिश्रा समिति ने रिपोर्ट सरकार को सौंप दी
रिपोर्ट में साल में दो या उससे अधिक बार छात्रों का ऑनलाइन “एपटिट्यूट टेस्ट” करने की सिफारिश की गयी है और इसके लिए 2016 तक राष्ट्रीय टेस्टिंग सेवा शुरू करने का प्रस्ताव है ताकि छात्रों में वैज्ञानिक अभिरूचि एवं नए अविष्कार के प्रति दिलचस्पी हो। इस टेस्ट के आधार पर करीब चार लाख छात्रों को संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए चयनित किया जायेगा। यह टेस्ट इस तरह होगा कि छात्रों को कोचिंग से कोई फायदा न मिले।
रिपोर्ट में संयुक्त प्रवेश परीक्षा को वर्तमान जेइई (एडवांसड) के आधार पर आयोजित करने की सिफारिश की गयी है, जिसमें भौतिकी, रसायन तथा गणित विषय होंगे और यह परीक्षा भी आईआईटी आयोजित करेगी। संयुक्त प्रवेश परीक्षा से 40 हजार से अधिक छात्रों की रैकिंग तय होगी, जो आईआईटी तथा एनआईटी में प्रवेश ले सकेंगे। रिपोर्ट में आईआईटी से अनुरोध किया गया है कि “मॉक जेईई परीक्षा” आयोजित करें, जिससे छात्रों को जेईई की परीक्षा के लिए तैयारी हो सके। इसके लिए छात्र “मूक्स” प्रणाली का इस्तेमाल कर सकते हैं और इस तरह कोचिंग को हतोत्साहित किया जा सकता है।