नौकरशाही डॉट इन को पता चला है कि आईएएस अरविंद चौधरी को हटाने के लिए मंत्री श्याम रजक की कोशिश फेल हो गयीं तो उन्होंने मंत्रिपद से इस्तीफे की पेशकश कर दी थी. पढ़िए क्या है पूरा मामला.
राज्य सरकार ने बिहार राज्य खाद्य आपूर्ति निगम( बीएसएफएससी) के प्रबंध निदेशक अरविंद चौधरी को महज सवा दो महीने में पद से हटा दिया. चौधरी, विभाग के मंत्री श्याम रजक को फूटी आंखों भी नहीं सोहाते थे.
अरविंद अपनी राह चलने वाले अधिकारी माने जाते हैं.उनके कामकाज का अपना स्टाइल रहा है. वहीं खाद्य एंव आपूर्ति विभाग के मंत्री श्याम रजक का अपना अलग अंदाज है. सूत्र बताते हैं कि इसलिए दोनो के बीच छत्तीस का आंकड़ा था. वैसे चौधरी की छवि ईमानदार आफिसर की रही है. उनका डेढ़ दशक का करियर बेदाग रहा है.
दूसरी तरफ खाद्य एंव आपूर्ति विभाग में भ्रष्टाचार किस स्तर पर रहा है यह किसी से छुपा नहीं. इस विभाग में सार्वजनिक वितरण प्रणाली हो या खाद्य आपूर्ति निगम हर जगह पर भ्रष्टाचर के अपने किस्से हैं.
लेकिन श्याम रजक अपने ही निगम के प्रबंध निदेशक से इतने क्यों नाराज थे. मात्र सवा दो महीने में रज को अपने अधिकारी से क्या शिकायत हो गयी थी कि वह उन्हें हटाने पर तुले थे? इस मामले में आईएएस अरविंद कुछ भी बात नहीं करना चाहते. वह मात्र इतना कहते हैं कि सरकार अपने हिसाब से फैसले करती है. मैं एक ऑफिसर हूं और मैं सरकार के निर्देशों का पालन करता हूं. चाहे मुझे जहां पोटस्ट किया जाये.
दूसरी तरफ सूत्रों का कहना है कि कई बार स्थिति यहां तक आ जाती थी कि श्याम रजक की बुलायी मिटिंग में भी अरविंद चौधरी नहीं जाते थे. इस कारण विभाग के मंत्री श्याम रजक उनसे नाराज थे. काम में बाधा तो पहुंचती ही थी. इसलिए श्याम रजक ने इस संबंध में कई बार मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से भी शिकायत की थी. पर बात नहीं बन पा रही थी. इतना ही नहीं रजक ने इसकी एक बार शिकायत पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी की.
लेकिन सूत्र बताते हैं कि जब श्याम रजक की बातों पर ध्यान नहीं दिया गया तो उन्होंने मुख्यमंत्री पर दबाव बनाने के लिए अपने इस्तीफे की पेशकश तक कर दी थी. इसके बाद आखिर में तय हुआ कि अरविंद चौधरी को बीएसएफएससी के प्रबंध निदेशक के पद से हटा कर उन्हें कहीं और भेजा जाये. नतीजे में उन्हें अब वहां से ट्रांस्फर कर समाज कल्याण विभाग का सचिव बनाया गया है.
कौन हैं अरविंद चौधरी
अरविंद चौधरी 1995 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. 44 वर्षीय चौधरी की खास बात यह है कि वे बिहार से ही हैं और इंजीनियर रहे हैं.
चौधरी ने बीटेक के अलावा एमटेक की भी डिग्री ले रखी है. चौधरी ने पहली बार 1997 में औरंगाबाद के एसडीओं के बतौर अपने प्रशासनिक करियर की शुरुआत की थी.
फिर वह अनेक जिलों और अनेक पदों पर रहे. चौधरी 2002 में खगड़िया के डीएम बनाये गये थे.
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