शारीरिक चुनौतियों के बावजूद इरा सिंघल ने आईएएस टॉप किया तो देश के हर व्यक्ति के दिल में उनके प्रति सम्मान का भाव जागा. पर ठहरिये. यह आलेख पढ़ कर आपके विचार थोड़े बदल सकते हैं.
सुशील उपाध्याय
पिछले दिनों एनडीटीवी पर रवीश कुमार , 20104 में आइएएस की टॉपर इरा सिंघल का साक्षात्कार कर रहे थे। इरा सिंघल ने चुनौतीपूर्ण शारीरिक स्थितियों में इस परीक्षा में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है, इसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए, कम है।
पर, उनका इंटरव्यू देखकर मन अजीब-सी खिन्नता से भर गया। रवीश कुमार से बातचीत में उनके पिता ने बताया कि इरा सिंघल ज्योतिष में भी अच्छा दखल रखती हैं। इस बात को आगे बढ़ाते हुए इरा ने यहां तक कह दिया कि उन्होंने अपने ज्योतिष-ज्ञान के आधार पर यह जान लिया था कि इस बार आइएएस में उनका चयन तय है।
उनके कमरे में पड़े हिंदी अखबार को देखकर रवीश कुमार ने पूछ लिया कि आप हिंदी अखबार पढ़ती हैं ? उन्होंने कहा नहीं नहीं. ये तो मेरी मां हिंदी अखबार पढ़ती हैं. उसके बाद उत्साह से अपने कमरे में मौजूद सैंकड़ों अंग्रेजी उपन्यासों को रवीश कुमार को दिखाती रहीं।
किताबें फेंक दी
और जब उनसे तैयारी में काम आई किताबों के बारे में पूछा तो वे बोलीं–‘वे सब तो मैंने फेंक दी है।’ रवीश कुमार ने दोबारा पूछा कि फेंक दी हैं या किसी को दे दी हैं। तब इरा सिंघल को लगा कि कुछ गलत कह दिया है, वे बोली-‘हां, किसी को दे दी हैं।’ कई जगह पर रवीश कुमार ने उनकी बातचीत को संभाला, अन्यथा वे और भी गोल-गपाड़ा कर देतीं।
इन कुछ सवालों के बाद मैंने चैनल बदल लिया। बड़े उत्साह से इंटरव्यू देखना शुरू किया था। लेकिन, इरा सिंघल के ज्योतिष के दिव्य-ज्ञान, हिंदी न पढ़ने का उत्साह और किताबों को फेंक देने की बात के बाद कुछ ऐसा बचा नहीं कि उनके इंटरव्यू को देखा जाए।
मेरे मन में रात से ही ये सवाल है कि क्या हमें ऐसे ही अधिकारियों की जरूरत है जो ज्योतिष-ज्ञान के आधार पर पता लगा लेते हैं कि वे आइएएस बनने वाले हैं ? क्या ऐसे अफसरों की जरूरत है जो जोर देकर कहते हैं कि वे हिंदी नहीं पढ़ते और उनके लिए किताबों की उपयोगिता केवल परीक्षा तक है, इसके बाद वे किताबें फेंक देते हैं
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