आईएएस सुभाष शर्मा की पुस्तक ‘सोसियोलॉजी ऑफ लिट्रेचर’ के विमोचन समारोह में जातिवादी साहित्य और शब्दों के उपयोग पर गर्रमागर्म बहस हुई.
आलोचक खगेंद्र ठाकुर ने कहा कि लोहिया सवर्ण शब्द की जगह द्विज शब्द का उपयोग करते थे जबकि इन दिनों सवर्ण शब्द का दुरूपयोग होने लगा है. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि कि इन दिनों अछूत शब्द का तो शोषण हो रहा है..
‘सोसियोलॉजी ऑफ लिट्रेचर’ के लेखक सुभाष शर्मा ने कहा कि हालांकि साहित्य समाज का दर्पण होता है पर हिंदी में साहित्य दर्पण है नहीं. यहां साहित्य समाज को सीधे रिफ्लेक्ट नहीं करता. यह मध्यस्थ है.
सुभाष शर्मा 1984 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन्होंने समाज शास्त्र में पीएच.डी की है. वह फिलहाल बिहार सरकार के लेबर महकमे के प्रधान सचिव हैं.
शर्मा की यह पुस्तक सामाजिक तानाबाना के इर्दगिर्द घूमती है. इस अवसर पर वरीय पत्रकार मैमन मैथ्यू, इतिहासकार विजय कुमार चौधरी व साहित्यकार डा शैलेंद्र सती प्रसाद ने भी सुभाष शर्मा की रचना पर अपने विचार व्यक्त किये.