सारण प्रक्षेत्र के पूर्व डीआईजी आलोक कुमार का निलंबन समाप्त होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं. आलोक को कथित तौर पर दस करोड़ रुपये रिश्वत मांगने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था.caption id=”attachment_5466″ align=”alignright” width=”240″] आलोक कुमार को फरवरी में निलंबित कर दिया गया था[/caption]
डीजीपी अभ्यानंद ने एक समाचार पत्र को बताया है कि जांच कमेटी की मीटिंग 26 अप्रैल को हुई थी इस कमेटी ने आलोक के निलंबन को खत्म करने के संबंध में कुछ भी नहीं कहा है.
आलोक 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं.
हालांकि आलोक कुमार की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. आलोक को 5 फरवरी को एक शराब व्यवसायी से कथित तौर पर दस करोड़ रुपये रिश्वत मांगने का आरोप है. इस संबंध में पुलिस ने कथित रूप से आलोक के लिए काम करने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार किया था और उनके पास से 5 लाख रुपये भी बरामद किये थे.
जांच में यह भी पाया गया कि दरौंदा के लोफर गांव निवासी उमेश सिंह, पटना के अशोक नगर निवासी दीपक अभिषेक तथा बिस्कोमान कॉलोनी निवासी अजय दूबे भी डीआईजी के लिए भयादोहन का काम करते थे.
इसमें से दो आरोपी को पुलिस ने पांच लाख रुपए के साथ गिरफ्तार किया था इस संदर्भ में आर्थिक अपराध इकाई द्वारा आर्थिक अपराध शाखा में प्राथमिकी (02/13) दर्ज करायी गई थी.
आलोक पटना के एसएसपी भी रह चुके हैं. इसके अलावा वह रेलवे में भी एसपी के पद पर काम कर चुके हैं. पटना के एसएसपी के पद से प्रोमोशन के बाद उन्हें सारण का डीआईजी बनाया गया था. इसके कुछ ही दिनों बाद रिश्वत मांगने के आरोप लगे और उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था. फिलहाल वह पुलिस मुख्यालय में हैं.
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