किसी पिता के लिए सबसें बड़ा दर्द होता है जवान बेटे की अर्थी को उठाना और वह भी तब जब बेटा इकलौता हो। बिहार कैडर के वरीय आईपीएस अधिकारी बच्चू सिंह मीणा और उनका परिवार बीते तीन वर्षों से भी अधिक समय से इस दर्द को यह सोचकर सहन कर रहे थे कि बेटे के हत्यारों को अदालत कठोर सजा देगी। पर शुक्रवार को सिक्किम की अदालत ने जैसे ही रक्षित के पांंचो हत्यारे को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया उससे वरीय आपीएस अधिकारी और उनकी पत्नी का दर्द एक बार फिर छलक आया।
विनायक विजेता
सिक्किम के मणीपाल विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में दूसरे वर्ष का होनहार छात्र रक्षित मीणा (22) की गंगटोक स्थित एक पब में 18 मई 2013 की रात स्थानीय छात्रों ने पीट-पीटकर हत्या हत्या कर दी थी।
रक्षित इस पब में अपने एक दोस्त के साथ जन्म दिन की पार्टी मनाने गया था। जिस वक्त यह घटना घटी रक्षित के पिता व 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी बी एस मीणा पूर्णिया में डीआईजी थे।
तब गंगटोक पुलिस ने घटना के दो दिन बाद रक्षित की हत्या में शमिल पांच आरोपित छात्रों को गिरफ्तार कर लिया।
इनमें एक आरोपित एक वरीय आईएएस अशिकारी का पुत्र था। गंगटोक पुलिस ने अन आरोपितों को कड़ी सजा दिलाने के लिए उनका टीआईपी परेड भी कराया जिसमें पांचों की पहचान हो गई। गंगटोक पुलिस ने पांचों आरोपितो पर भादवि की धारा 302,201 एवं 34 के तहत आरोप पत्र भी न्यायालय में दाखिल कर दिया।
लेकिन शुक्रवार को वहां की स्थानीय अदालत के जिला जज जगत राई ने पांचो आरोपितों को दोषमुक्त करार देते हुए उन्हें बरी कर दिया। मूल रुप से राजस्थान के दौसा निवासी बीएस मीणा और उनके परिजनों को अदालत से इस फैसले की उम्मीद नहीं थी।
वर्तमान में पटना में आईजी, सुरक्षा के पद पर तैनात बीएस मीणा सिक्किम के अदालत के इस फैसले से काफी आहत है और उन्होंने इस फैसले को काफी ‘पेनफुल’ बताया। मीणा अदालत के इस फसले से काफी आहत हैं.