यूपी के मंत्री आजम खान की चोरी गीयीं भैंसें भले ही खोज ली गयीं पर इस ममाले में मुंह खोलना एक आईपीएस अफसर को इतना महंगा पड़ा है कि उनके खिलाफ सरकार ने नोटिस जारी कर दिया है.
आज़म खान की भैंसों की चोरी और बरामदगी के बाद श्री ठाकुर ने कुछ चैनलों पर कहा था कि मंत्रीजी की भैंस की तत्काल बरामदगी से आशा का बड़ा संचार हुआ है, लेकिन यह कष्ट का विषय है कि 2011 में चोरी गयी उनके बच्चे की साइकल और 2013 में उनसे ठगे गए 5000 रुपये में एफआइआर दर्ज होने के बाद अब तक गोमतीनगर थाने की पुलिस ने उनसे पूछताछ तक नहीं की.
इसे शासन की आलोचना की श्रेणी में मानते हुए डीजीपी कार्यालय ने श्री ठाकुर को कारण बताओ नोटिस जारी कर कहा है कि उन्होंने बिना राज्य सरकार की अनुमति के जो बयान दिया है वह अखिल भारतीय सेवा आचरण नियमावली के नियम 7 और 17 का उल्लंघन है.
अतः डीजीपी कार्यालय ने इस कथित “नियम विरुद्ध कृत्य” के लिए उनसे एक सप्ताह में उनका स्पष्टीकरण माँगा है जबकि यह साफ़ दिखता है कि श्री ठाकुर ने मात्र एक सही बात कही थी और पुलिस द्वारा ताकतवर और गैर-ताकतवर लोगों के बीच किये जा रहे भेदभाव को सामने रखा था.
अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर ने एक बयान में कहा है कि अमिताभ का बयान सिर्फ यह बताने के लिए था कि कानून में बड़े और छोटे के बीच भेद नहीं है. इसलिए मंत्री की भैंसों को तलाश करना जितना जरूर है उतना ही महत्वपूर्ण एक साधार आदमी की चीजों की चोरी होने पर तलाश करना है.
इससे जाहिर है कि सरकार में सही बात उठाने वाले को हमेशा सजा भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए.